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सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया वीडियो, जस्टिस वर्मा के घर में चार-पांच बोरियों में मिले थे अधजले नोट

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस संजीव खन्ना ने दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के नई दिल्ली स्थित बंगले से बड़ी मात्रा में मिली नकदी से जुड़ी शुरुआती जांच रिपोर्ट, वीडियो और तस्वीरें सार्वजनिक कर दी हैं। वीडियो में घर के अंदर जले हुए नोटों के बंडल दिखाई दे रहे हैं। पुलिस के मुताबिक, घर से चार-पांच अधजली बोरियों में अधजले नोट मिले थे।सीजेआई खन्ना ने शनिवार को ही दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय की आंतरिक जांच रिपोर्ट के बाद विस्तृत जांच के लिए तीन न्यायाधीशों की समिति बना दी है। साथ ही, जस्टिस उपाध्याय को कहा कि जस्टिस वर्मा को कोई न्यायिक कार्य न सौंपा जाए। तीन सदस्यीय समिति में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की न्यायाधीश जस्टिस अनु शिवरामन शामिल हैं। सार्वजनिक वीडियो दिल्ली पुलिस ने शूट किया था। सीजेआई ने जस्टिस वर्मा का जवाब भी सार्वजनिक किया है। उन्होंने नोटों की जानकारी होने से इन्कार किया है। गौरतलब है कि जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास पर 14 मार्च को होली की रात लगी आग बुझाने के दौरान एक कमरे से भारी नकदी मिली थी। इलाहाबाद बार एसोसिएशन ने नकदी की राशि 15 करोड़ बताई थी। घर में आग लगने की घटना के बाद जस्टिस यशवंत वर्मा सुर्खियों में हैं। जस्टिस वर्मा को दिल्ली हाईकोर्ट ने आग की घटना की जांच के दौरान फोन रिकॉर्ड सुरक्षित रखने का निर्देश दिया है। जस्टिस उपाध्याय ने कहा, 20 मार्च को मैंने फोटो, वीडियो और दो संदेश आपको (सीजेआई) भेज दिए। कल शाम मुझे आपका पत्र मिला, जिसमें जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट वापस भेजने के प्रस्ताव की जानकारी थी। मैंने शाम को ही जवाब दिया कि प्रस्ताव न्याय के बेहतर प्रशासन के हित में है। जस्टिस उपाध्याय ने लिखा, मेरी जांच में आैर पुलिस आयुक्त की 16 मार्च की रिपोर्ट में भी खुलास था कि जस्टिस वर्मा के आवास पर तैनात गार्ड के अनुसार, 15 मार्च की सुबह कमरे से मलबा और अन्य जली वस्तुएं हटा दी गई थीं। लिहाजा पूरे मामले की गहन जांच की जरूरत है।जांच रिपोर्ट के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा का जवाब भी जारी किया। अपने जवाबों में जस्टिस वर्मा ने आरोपों से इनकार किया है। उन्होंने कहा है कि यह स्पष्ट रूप से उन्हें फंसाने और बदनाम करने की साजिश प्रतीत होती है। उस स्टोररूम में उनके या उनके परिवार के किसी सदस्य द्वारा कभी कोई नकदी नहीं रखी गई थी। उन्होंने कहा कि वे इस बात की कड़ी निंदा करते हैं कि कथित नकदी उनकी थी। जिस कमरे में आग लगी और जहां कथित तौर पर नकदी मिली, वह एक आउटहाउस था न कि मुख्य भवन जहां न्यायाधीश और उनका परिवार रहता है।इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस संजीव खन्ना ने दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ लगे आरोपों की जांच के लिए तीन न्यायाधीशों की समिति गठित की। साथ ही मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय को फिलहाल जस्टिस वर्मा को कोई न्यायिक कार्य न सौंपने के लिए भी कहा गया है। सीजेआई जस्टिस खन्ना द्वारा गठित समिति में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की न्यायाधीश अनु शिवरामन शामिल हैं।

सीजेआई ने मांगी  ये जानकारियां
21 मार्च को सीजेआई के निर्देश पर जस्टिस उपाध्याय ने जस्टिस वर्मा से इन बिंदुओं पर लिखित में जानकारी मांगी।
उनके घर से मिले नोटों के लिए वह कैसे जिम्मेदार हैं।
यह नकदी उन्हें कहां से मिली, इसकी जानकारी दें।
15 मार्च सुबह अधजली नकदी व सामान किसने हटाए।
साथ ही, यह भी : जस्टिस वर्मा के घर छह माह में तैनात रहे रजिस्ट्री स्टाफ, निजी सुरक्षा अधिकारी व कर्मियों का ब्योरा।
दूरसंचार कंपनियों से जस्टिस वर्मा के आधिकारिक व अन्य नंबरों की छह महीने की कॉल डिटेल मांगी जाए।
जस्टिस वर्मा अपने फोन से कोई भी डाटा डिलीट नहीं करें।

 

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