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आरएसएस की पसंद, पीएम मोदी जानते हैं अहमियत, शिवराज की अध्यक्ष पद पर दावेदारी के बड़े कारण क्या?

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को सितंबर में नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल जाएगा। इसके लिए कई नामों पर चर्चा हो रही हैं। इनमें मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम भी शामिल है। शिवराज सिंह के राजनीति सफर और हाल ही में हुए सियासी घटनाक्रम के कारण उनकी दावेदारी मजबूत नजर आ रही है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष वही बनेगा, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भरोसेमंद होने के साथ आरएसएस की भी पसंद हो। साथ ही, उसे संगठन चलाने, चुनाव लड़ने और लड़वाने का भी अनुभव हो।

इस सब मापदंडों में शिवराज पूरी तरह फिट बैठते नजर आ रहे हैं। बीते दिनों ग्वालियर में संघ प्रमुख मोहन भागवत से शिवराज की बंद कमरे में हुई बैठक ने इस संभावना को और मजबूत कर दिया है। हालांकि, भाजपा की रणनीत हमेशा अपने फैसलों से चौंकाने वाली रही है। ऐसे में पार्टी अध्यक्ष का पद किसे मिलेगा, यह आने वाले कुछ दिनों में साफ हो जाएगा। आइए, अब जानते है शिवराज सिंह के नाम की चर्चा क्यों हो रही, शिवराज की दावेदारी क्यों मजबूत है?

सबसे पहले जानिए, क्यों हो रही शिवराज के नाम पर चर्चा

हाल ही में ग्वालियर में शिवराज सिंह चौहान की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत से करीब 45 मिनट तक बंद कमरे में बातचीत हुई। इसके बाद मीडिया ने उनसे भाजपा अध्यक्ष के दौड़ में शामिल होने को लेकर सवाल पूछा, लेकिन शिवराज इस सवाल को घुमा गए। उन्होंने न तो इससे इनकार किया और न ही इस पर हां कहा। उन्होंने कहा- मैंने इस बारे में कभी नहीं सोचा और न ही सोच सकता हूं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्रामीण विकास और कृषि मंत्रालय की जिम्मेदारी दी है, जिसे पूरे मन से निभा रहा हूं। इस पर भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार प्रभु पटैरिया कहते हैं कि भाजपा नेताओं के बयान या तो खंडन करते हैं या कारण बताते हैं। शिवराज सिंह चौहान ने सवाल का जवाब टाल दिया और घुमा दिया। इससे यह साबित होता है कि शिवराज चौहान रेस में सबसे ऊपर हैं। उनके संघ प्रमुख की मुलाकात के मायने राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से जुड़ते हैं। 

शिवराज सभी कसौठी पर खरे 

वरिष्ठ पत्रकार दिनेश गुप्ता कहते हैं कि अन्य पिछड़ा वर्ग से आने वाले शिवराज सिंह चौहान राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के सबसे मजबूत दावेदार हैं। वह युवा मोर्चा से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक संगठन के महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं। उन्हें संगठन के काम करने का बड़ा अनुभव है, उनकी छवि भी राष्ट्रव्यापी है। मध्य भारत के सबसे लोकप्रिय नेता शिवराज सिंह के सामने भाजपा अध्यक्ष पद के दावेदार कहीं नहीं टिक रहे हैं। हालांकि, अभी भाजपा को मोदी और शाह दो लोग चला रहे हैं। शिवराज की यह कमजोरी है कि वह किसी के दबाव में काम नहीं करते हैं। यही वजह है कि वह भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के लिए विक्रम वर्मा के खिलाफ संगठन चुनाव में खड़े हो गए थे। वह पार्टी हित को सर्वोपरी रखते हैं। फिर भी अगर, आरएसएस चाहेगा तो शिवराज राष्ट्रीय अध्यक्ष के दावेदारों में सबसे मजबूत हैं।

पार्टी में टॉप पाइव नेताओं में शामिल

पार्टी में टॉप 5 की पोजिशन समझने के लिए कुछ समय पहले चलते हैं। केंद्र सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में। शपथ ग्रहण में शिवराज सिंह ने पांचवें नंबर पर शपथ ली थी। उनसे पहले पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और वर्तमान अध्यक्ष जेपी नड्डा ने शपथ ली थी। इन नामों में पीएम मोदी को छोड़ दें तो बाकि तीनों अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। शिवराज ही शेष हैं।

सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री के पद पर रहे

शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश में करीब 18 साल तक मुख्यमंत्री रहते हुए अपनी अलग पहचान बनाई। उन्हें पार्टी के सबसे अनुभवी और लोकप्रिय नेताओं में गिना जाता है। 2005 में उन्हें पहली बार मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया। फिर 2008, 2013 और 2020 में दोबारा मुख्यमंत्री बनाया। 2018 में शिवराज सरकार नहीं बना पाए थे, लेकिन सबसे ज्यादा सीटें भाजपा ने ही जीती थीं। खास बात तो यह है कि डेढ़ साल की कमलनाथ सरकार में भी वह जमीन पर सक्रिय रहे और खूब मेहनत की। इसके बाद भाजपा सत्ता में आई और शिवराज को ही मुख्यमंत्री बनाया गया। इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा की वापसी के लिए शिवराज सिंह ने एक मास्टर स्ट्रोक खेला और प्रदेश में लाडली बहना योजना की शुरूआत की। जिसके दम पर पार्टी ने जोरादार वापसी की। बाद में उनकी इस योजना को भाजपा ने अन्य राज्यों में भी शुरू किया। 

डंपर कांड के बाद भी 2008 में भी बड़ी जीत 

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते शिवराज सिंह चौहान पर डंपर कांड का आरोप लगा था। दरअसल, 2006 के विधानसभा चुनाव में दिए हलफनामे में शिवराज सिंह चौहान ने अपनी पत्नी साधना सिंह के खाते में 2 लाख 30 हजार रुपए बताए। इस पर कोर्ट में दायर याचिका में आरोप लगाया गया कि इतनी कम राशि में दो करोड़ के चार डंपर नहीं खरीदे जा सकते थे। साधना सिंह के नाम पर चारों डंपर थे, जिसमें पता जेपी नगर प्लांट रीवा का दर्ज था। इस मामले में शिवराज सिंह घिर गए थे। इसके बाद भी विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 143 सीटें जीती और सरकार बनाई। 2013 के बाद शिवराज का नाम व्यापमं कांड भी आया, लेकिन उसमें भी उन्होंने अपनी छवि पर कोई दाग नहीं लगने दिया।

सहज और सरल स्वभाव के नेता की छवि 

मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान की छवि सरल और सर्वसुलभ नेता की रही है। यह संगठन के नेता का गुण है। यह सबसे बड़ा कारण है कि संगठन में उनकी बहुत स्वीकार्यकता है। उनकी हर क्षेत्र में कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच अच्छी पकड़ है। वे जमीनी कार्यकर्ता से भी उसी तरह व्यवहार करते है, जैसे किसी बड़े पदाधिकारी के साथ। वे कभी भी अपने आदिवासी कार्यकर्ता के घर भोजन करने पहुंच जाते हैं। कहीं भी किसी से गाड़ी रोककर मिलते हैं और जरूरत पड़ने पर मदद भी करते हैं। शिवराज का यह व्यवहार उन्हें अन्य नेताओं से अलग करता है।

जनता की बीच 'मामा' और भाई की छवि 

शिवराज की मध्य प्रदेश में लोगों के बीच मामा वाली छवि है। उनमें अपने भाषण से जनता से जुड़ने का एक अद्भुत गुण है। मुख्यमंत्री रहते उन्होंने किसानों की कर्ज माफी, बुजुर्गों के लिए तीर्थ दर्शन योजना, लाडली लक्ष्मी योजना, लाडली बहना जैसी योजनाओं से भाजपा का ग्रामीण और महिला वोटबैंक बढ़ाया। पार्टी की ओर से इनमें से कुछ योजनाओं को अन्य प्रदेशों में भी लागू किया गया। ऐसे में पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर वोटबैंक को मजबूत करने के लिए ऐसा ही एक चेहरा चाहिए।

संगठन में कई पदों पर रहे 

शिवराज सिंह चौहान केवल प्रदेश तक सीमित नहीं रहे, उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी एक अलग पहचान बनाई है। अलग-अलग राज्यों में चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने अपनी भाषण शैली से लोगों को प्रभावित किया। शिवराज सिंह चौहान ने युवा मोर्चा से राजनीति की शुरुआत कर संगठन में लगातार काम किया। पिछड़ा वर्ग से आने वाले शिवराज सिंह चौहान 2000 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, 2005 में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और 2019 से 2020 तक भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे चुके हैं। 

पहली बार बुधनी से लड़ा था चुनाव

शिवराज सिंह चौहान 1990 में पहली बार बुधनी विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने। 2005 में उन्हें भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। फिर अचानक उनकी किस्मत चमक और उन्हें मुख्यमंत्री पद के लिए चुन लिया गया। 29 नवंबर 2005 को शिवराज ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उन्होंने 2006 में बुधनी से उपचुनाव लड़ा और जीत गए। 2008 में भी बुधनी से चुनाव जीते। 12 दिसंबर 2008 को उन्होंने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। 2013 में शिवराज ने फिर चुनाव जीता और मुख्यमंत्री बने। दिसंबर 2018 के चुनाव में बहुमत हासिल नहीं करने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। हालांकि, डेढ़ साल बाद कमलनाथ की सरकार ने बहुमत खो दिया और शिवराज सिंह चौहान ने 23 मार्च 2020 को एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। दिसंबर 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में शिवराज बुधनी से फिर चुनाव जीते, लेकिन इस बार पार्टी ने उन्हें सीएम नहीं बनाया।

विदिशा से छह बार सांसद बने शिवराज

शिवराज सिंह चौहान ने 1991 में पहली बार विदिशा सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत दर्ज कर सांसद बने। इसके बाद 1996 में भी विदिशा से सांसद बने। 1998, 1999 और 2004 में भी विदिशा से सांसद रहे। इसके एक साल बाद शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने और प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हो गए। 2024 में शिवराज सिंह चौहान को विदिशा से टिकट दिया गया, उन्होंने आठ लाख वोटों के भारी अंतर से जीत दर्ज की। इसके बाद उन्हें मोदी कैबिनेट में पहली बार मंत्री बनाया गया। उन्हें कृषि एवं ग्रामीण विकास विभाग की जिम्मेदारी सौपी गई।

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