कोई बिना चुनाव लड़े बना मंत्री...किसी को विरासत का फायदा; नीतीश की नई कैबिनेट में परिवारवाद का बोलबाला
नीतीश कुमार ने गुरुवार को 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, उनके साथ एनडीए गठबंधन के सहयोगी दलों के 26 सदस्यों ने भी शपथ ली है। शपथ समारोह के बाद से नीतीश सरकार का नया मंत्रिमंडल चर्चाओं में है। वजह बिहार सरकार के नए मंत्रिमंडल में परिवारवाद देखने को मिला। परिवारवादी मंत्रियों की सूची में भाजपा, जदयू, हम (हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा) और रालोमो (राष्ट्रीय लोक मोर्चा) के नेता शामिल हैं। 26 में से 10 मंत्री राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हैं।
बिना चुनाव लड़े कुशवाहा के बेटे बने मंत्री
गुरुवार को पटना में हुए नीतीश सरकार के शपथ ग्रहण मंच पर उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश ने मंत्री पद की शपथ ली। दूसरी ओर, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के बेटे को भी दोबारा मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया। इन दोनों के शपथ लेने के बाद परिवारवाद को लेकर नई बहस छिड़ गई है। नई कैबिनेट में 10 मंत्रियों का राजनीति से संबंध है। किसी को अपने पिता की विरासत मिली तो कोई अपने पति की राजनीतिक पृष्ठभूमि के चलते मंत्री पद तक पहुंचा। बता दें कि बिहार चुनाव में एनडीए के चुनकर आए 29 विधायक ऐसे हैं जिनकी पृष्ठभूमि परिवारवाद की राजनीति की ही है। इनमें 11 विधायक भाजपा के और 11 ही विधायक जदयू के भी हैं।
नीतीश की नई कैबिनट में दिखा परिवारवाद
राजनीतिक पृष्ठभूमि से आने वाले नेताओं में सम्राट चौधरी, विजय चौधरी, अशोक चौधरी, लेशी सिंह, रमा निषाद, नितिन नबीन, श्रेयसी सिंह और संतोष सुमन जैसे कई नेता शामिल हैं। उपेंद्र कुशवाहा पहले ही राज्यसभा सदस्य हैं और उनकी पत्नी सासाराम से विधायक हैं। अब बेटे दीपक प्रकाश को भी बिना चुनाव लड़ाए मंत्री बना दिया गया है। जल्द ही एमएलसी बनाया जाएगा। मांझी के बेटे संतोष कुमार सुमन की फिर से मंत्री के रूप में वापसी हुई है।
राजद ने बिहार की नई कैबिनेट पर कसा तंज
राजद ने नई कैबिनेट पर निशाना साधते हुए एक्स पर नीतीश कैबिनेट के ऐसे मंत्रियों को सूची जारी की है। जो राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हैं। राजद ने एक्स पर लिखा: