बसंत पंचमी पर कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ शà¥à¤ माना जाता पीला रंग...
सी मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि सबसे पहले पीतांबर धारण करके à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ ने देवी सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ का पूजन माघ शà¥à¤•à¥à¤² पंचमी को किया था. तब से बसंत पंचमी के दिन सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ पूजन का पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¨ है. देवी सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ की आराधना बागीशà¥à¤µà¤°à¥€, à¤à¤—वती, शारदा, वीणावादनी जैसे अनेक नामों से होती है.
तिष के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° पीले रंग का संबंध गà¥à¤°à¥ गà¥à¤°à¤¹ से है जो जà¥à¤žà¤¾à¤¨, धन और शà¥à¤à¤¤à¤¾ के कारक माने जाते हैं.
गà¥à¤°à¥ गà¥à¤°à¤¹ के पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ से धन बढ़ता है, सà¥à¤–, समृदà¥à¤§à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है, पीले रंग का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— करने से गà¥à¤°à¥ गà¥à¤°à¤¹ का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ बढ़ता है और जीवन में धन, दौलत, मान-यश की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है.
मां सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ की पूजा से होगा कलà¥à¤¯à¤¾à¤£
हिंदू धरà¥à¤® में पीला रंग बहà¥à¤¤ शà¥à¤ माना जाता है, बसंत उतà¥à¤¸à¤µ मानने के लिठअपनी खà¥à¤¶à¥€ का इजहार करने के लिठबसंत पंचमी के दिन पीले रंग के चावल बनाये जाते है. हलà¥à¤¦à¥€ व चनà¥à¤¦à¤¨ का तिलक लगाया जाता है.
पीले लडà¥à¤¡à¥‚ और केसरयà¥à¤•à¥à¤¤ खीर बना कर मां सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ , à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ और à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ को अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ किया जाता है. पीले रंग के वसà¥à¤¤à¥à¤° धारण कर पूजा, उपासना की जाती है आने वाला समय शà¥à¤ हो, उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ हो, जीवन में और सफलता मिले à¤à¤¸à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ मां सरसà¥à¤µà¤¤à¥€, à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ और शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ विषà¥à¤£à¥ जी से की जाती है.