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जीवन से लेकर ईश्वर तक, जानिये क्या है मोदी के दर्शन और सफलता का राज

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आशावादी व्यक्ति हैं. एक भाषण में उन्होंने कहा था कि हर व्यक्ति का अपना नजरिया होता है और अपने नजरिये से ही दुनिया को देखता है. कुछ लोग कहते हैं कि ग्लास आधा भरा है और कुछ कहते हैं कि ग्लास आधा खाली है. पर मैं कहता हूं कि ग्लास पूरा भरा है, आधा पानी और आधी हवा.

जाहिर है ये बातें नरेंद्र मोदी की सकारात्मकता को दर्शाती हैं. हम यहां आपको बता रहे हैं नरेंद्र मोदी का जीवन दर्शन क्या है और वो ईश्वर को लेकर क्या सोच रखते हैं...  

ईश्वरवादी पर कर्म में भरोसा

एक इंटरव्यू में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं ईश्वरवादी हूं. मैं आशावादी हूं और परम शक्ति में विश्वास रखता हूं. लेकिन मैं ये मानता हूं कि मुझे उसे परेशान नहीं करना चाहिए. मुझे जिस काम के लिए उसने भेजा है, वो मुझे करना चाहिए उसे नहीं करना चाहिए. ईश्वर को बार-बार जाकर परेशान मत करो कि मेरे लिए ये करो वो करो. लोग सुबह-शाम मंदिर जाकर ईश्वर को काम बता देते हैं कि मेरे लिए ये करो, वो करो. ईश्वर हमारा एजेंट नहीं है. परमात्मा ने हमें भेजा है, वो हमसे जो करवाएगा हमें वो करना चाहिए. परमात्मा जो सदबुद्धि देगा, उसी के आधार पर मार्ग पर चलते जाना है.

रोल मॉडल कौन

नरेंद्र मोदी बचपन से स्वामी विवेकानंद के विचारों से काफी प्रभावित रहे हैं. गांव की लाइब्रेरी में भी वो स्वामी विवेकानंद को ही पढ़ते थे. स्वामी विवेकानंद की किताबों में मूल रूप से देशभक्ति की बातें होती थीं. स्वामी विवेकानंद कहते थे कि दरिद्र नारायण की सेवा ईश्वर की सेवा है. गरीब का कल्याण करो, वही भगवान का काम करना हुआ. वो कहते थे कि सब भगवान को भूल जाओ सिर्फ भारत माता को याद रखो. ये चीजें पीएम मोदी को बहुत अपील करती थीं. पीएम मोदी के भाषणों में अक्सर हम स्वामी विवेकानंद की झलक देख सकते हैं.वो सबसे ज्यादा स्वामी विवेकानंद की विचारधारा से ही प्रभावित हुए हैं.

सबसे प्रिय पुस्तक, जिसने प्रभावित किया

नरेंद्र मोदी आज भले ही किताबें ना पढ़ पाते हों पर एक समय था जब उनके पास समय था और वो खूब किताबें पढ़ते थे.  पर अब जो स्थिति है उसमें मोदी किताबें पढ़ नहीं पाते हैं. इन दिनों जो भी किताबें आईं उन्हें पढ़ने की इच्छा होते हुए भी मोदी उन्हें पढ़ नहीं पाए.

हॉबी और दिलचस्पी

मोदी की कई चीजों में दिलचस्पी है. खासतौर से उन्हें इंस्ट्रूमेंटल संगीत पसंद है. मोदी मानते हैं कि इंस्ट्रूमेंटल संगीत चेतना जगाता है. भारत का संगीत मन को डोलाता है. पश्चिम का संगीत तन को डोलाता है, जो मन को भाता है, वही ज्यादा पसंद आता है.

 

मोदी का अंदाज और कपड़ा

नरेंद्र मोदी को अंदाज और कपड़ों को देखकर आप भले ही ये सोचते हों कि मोदी बहुत शौकीन व्यक्ति हैं लेकिन वास्तविकता इससे अलग है. देश के पीएम बहुत ही सादगी पसंद हैं. वो तांबे के पात्र में पानी पीते हैं और खादी के कपड़े पहनते हैं. मोदी आज भी भगवे रंग की लुंगी पहनते हैं. मोदी ये मानते हैं कि ढंग से जीना और ईश्वर ने जो शरीर उन्हें दिया है, उस पर कोई भी कपड़ा जंचता है.

सुखद और दुखद वक्त

मोदी कहते हैं कि उनके जीवन में कभी सुखद वक्त नहीं आया. बच्चों के लिए शिक्षा, गरीबों के पास घर और बूढ़ों के लिए दवाई की व्यवस्थाए जब ऐसा देश होगा मेरा, तब जाकर मुझे सुख होगा और संतोष मिलेगा. तब तक सुख कैसा? दुखद वक्त के बारे में मोदी कहते हैं कि उन्होंने दुखों की कभी गिनती नहीं की, ना कभी उस पर अपना समय खराब करता हूं.

क्या अकेले फैसले लेते हैं मोदी

पीएम मोदी कहते हैं कि कपड़ों को लेकर जो झूठ फैलाया गयाए, ठीक उसी प्रकार ये भी एक झूठ है कि मैं फैसले अकेले लेता हूं. गुजरात में सीएम रहते हुए जो भी बदलाव आया क्या कोई एक आदमी ला सकता है? बिना टीम कोई सफलता हासिल नहीं कर सकता. मैं जो भी करता हूंए उसमें पूरी टीम का सहयोग होता है.

सफलता का मूल कारण

मोदी अपनी सफलता का मूल कारण एक अच्छा वक्ता होना मानते हैं. वो कहते हैं कि मैं सबको सुनता हूं और यही मेरी सफलता का मूल कारण है. किसी भी काम में वो सबकी राय लेते हैं और सबकी सुनते हैं. एक बार एक नतीजे पर जब सबकी राय बन जाए तो उसके इम्पिलिमेंटेशन पर वो पूरी शक्ति झोंक देते हैं.

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