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नवरात्रि: जाने विदेशों में स्थित मां दुर्गा के शक्ति पीठों के बारे में

 à¤¨à¤µà¤°à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¿ शुरू होते ही मां के शक्‍तिपीठों में जयकारे लगने लगते हैं। इन नौ दिन हर दिन अलग-अलग देवियों की पूजा की जाएगी। नवरात्रि में शक्तिपीठों के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करने का विशेष महत्व होता है। हम यहां बताएंगे विदेशों में स्थित शक्तिपीठों के बारे में -

क्या हैं शक्ति पीठ

 

धर्मग्रंथों तथा पुराणों के अनुसार जहां-जहां सती के अंग के टुकड़े, धारण किए वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ की स्थापना हुई। ये अत्यंत पावन तीर्थ कहलाये। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए हैं। देवी पुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है। हालांकि देवी भागवत में जहां 108 और देवी गीता में 72 शक्तिपीठों का ज़िक्र मिलता है, वहीं तन्त्रचूडामणि में 52 शक्तिपीठ बताए गए हैं। देवी पुराण में ज़रूर 51 शक्तिपीठों की ही चर्चा की गई है। इन 51 शक्तिपीठों में से कुछ विदेश में भी हैं और पूजा-अर्चना द्वारा प्रतिष्ठित हैं। आईये जानते हैं विदेशों में स्थित शक्ति पीठों के बारे में-

यशोर शक्तिपीठ

 

यह शक्तिपीठ वर्तमान बांग्लादेश में खुलना ज़िले के जैसोर नामक नगर में स्थित है। यहां सती की 'वाम' का निपात हुआ था।

चट्टल शक्तिपीठ

चट्टल में माता सती की 'दक्षिण बाहु' गिरी थी। यहां माता सती को 'भवानी' तथा भगवान शिव को 'चंद्रशेखर' कहा जाता है। बाग्लादेश में चटगांव से 38 किमी दूर सीताकुंड स्टेशन के पास चंद्रशेखर पर्वत पर भवानी मंदिर है। यही 'भवानी मंदिर' शक्तिपीठ है।

करतोयाघाट शक्तिपीठ

यहाँ माता सती का 'वाम तल्प' गिरा था। यहाँ माता 'अपर्णा' तथा भगवन शिव 'वामन' रूप में स्थापित है। यह स्थल बांग्लादेश में है। बोगडा स्टेशन से 32 किमी दूर दक्षिण-पश्चिम कोण में भवानीपुर ग्राम के बेगड़ा में करतोया नदी के तट पर यह शक्तिपीठ स्थित है।

सुंगधा शक्तिपीठ

बांग्लादेश के बरीसाल से 21 किलोमीटर उत्तर में शिकारपुर ग्राम में 'सुंगधा' नदी के तट पर स्थित 'उग्रतारा देवी' का मंदिर ही शक्तिपीठ माना जाता है। इस स्थान पर सती की 'नासिका' का निपात हुआ था।

हिंगलाज शक्तिपीठ

 

यहाँ माता सती का 'ब्रह्मरंध्र' गिरा था। यहाँ माता सती को 'भैरवी/कोटटरी' तथा भगवन शिव को 'भीमलोचन' कहा जाता है। यहाँ शक्तिपीठ पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त के हिंगलाज में है। हिंगलाज कराची से 144 किमी दूर उत्तर-पश्चिम दिशा में हिंगोस नदी के तट पर है। यही एक गुफा के भीतर जाने पर मां आदिशक्ति के ज्योति रूप के दर्शन होते है।

गुह्येश्वरी शक्तिपीठ

 

नेपाल में 'पशुपतिनाथ मंदिर' से थोड़ी दूर बागमती नदी की दूसरी ओर 'गुह्येश्वरी शक्तिपीठ' है। यह नेपाल की अधिष्ठात्री देवी हैं। मंदिर में एक छिद्र से निरंतर जल बहता रहता है। यहाँ की शक्ति 'महामाया' और शिव 'कपाल' हैं।

गण्डकी शक्तिपीठ

नेपाल में गण्डकी नदी के उद्गमस्थल पर 'गण्डकी शक्तिपीठ' में सती के 'दक्षिणगण्ड' का पतन हुआ था। यहां शक्ति `गण्डकी´ तथा भैरव `चक्रपाणि´ हैं।

लंका शक्तिपीठ

 

श्रीलंका में, जहां सती का 'नूपुर' गिरा था। यहां की शक्ति इन्द्राक्षी तथा भैरव राक्षसेश्वर हैं। लेकिन, उस स्थान ज्ञात नहीं है कि श्रीलंका के किस स्थान पर गिरे थे।

मानस शक्तिपीठ

 

यहां माता सती की 'दाहिनी हथेली' गिरी थी। यहाँ माता सती को 'दाक्षायणी' तथा भगवान शिव को 'अमर' कहा जाता है। यह शक्तिपीठ तिब्बत में मानसरोवर के तट पर स्थित है।

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