कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ नहीं चाहती थी गणेशोतà¥â€à¤¸à¤µ शà¥à¤°à¥‚ करना, नेहरू à¤à¥€ थे विरोध में, लेकिन हà¥à¤
जिस सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤• गणेशोतà¥à¤¸à¤µ को आजकल लोग इतनी धूमधाम से मनाते हैं, उस पबà¥à¤²à¤¿à¤• फंकà¥à¤¶à¤¨ को शà¥à¤°à¥‚ करने में लोकमानà¥à¤¯ बाल गंगाधर तिलक को काफी मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤²à¤¾à¤¤ और विरोध का सामना करना पड़ा था। हालांकि, सनॠ1894 में कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ के उदारवादी नेताओं के à¤à¤¾à¤°à¥€ विरोध की परवाह किठबिना दृढ़निशà¥à¤šà¤¯ कर चà¥à¤•à¥‡ लोकमानà¥à¤¯ तिलक ने इस गौरवशाली परंपरा की नींव रख ही दी। बाद में सावरà¥à¤œà¤¨à¤¿à¤• गणेशोतà¥à¤¸à¤µ सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ संगà¥à¤°à¤¾à¤® में लोगों को à¤à¤•à¤œà¥à¤Ÿ करने का ज़रिया बना।