हिंदू परंपराओं के à¤à¥€à¤¤à¤° बà¥à¤¦à¥à¤§ की छांव, धरà¥à¤®à¤¾à¤‚तरण का उतà¥â€à¤¸à¤µ और काल बाहà¥à¤¯ होता à¤
नागपà¥à¤° सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ दीकà¥à¤·à¤¾à¤à¥‚मि वह पावन सà¥à¤¥à¤²à¥€ है, जहां डॉ. à¤à¥€à¤®à¤°à¤¾à¤µ अमà¥à¤¬à¥‡à¤¡à¤•à¤° ने 14 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर , 1956 को बौदà¥à¤§ धरà¥à¤® अपनाया और उनसे पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ 10,000 से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ लोगों को अपने हाथों से धमà¥à¤® दीकà¥à¤·à¤¾ गà¥à¤°à¤¹à¤£ किया। गौरतलब है कि 1956 के धरà¥à¤®à¤¾à¤‚तरण की घटना के बाद से हर वरà¥à¤· विजयादशमी या 14 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर के दिन लाखों की संखà¥à¤¯à¤¾ में लोग अलग-अलग राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से दीकà¥à¤·à¤¾à¤à¥‚मि आते हैं, और धरà¥à¤®à¤¾à¤‚तरण करते है। हालांकि मीडिया दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ नज़रअंदाज़ किठजाने के कारण मà¥à¤–à¥à¤¯ धारा की राजनीति दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ इसे नज़रअंदाज किया रहा है।