डॉ. आंबेडकर लाठथे à¤à¤¾à¤°à¤¤ की पहली 'जल नीति'
à¤à¤¾à¤°à¤¤ रतà¥à¤¨ बाबा साहब डॉ. à¤à¥€à¤®à¤°à¤¾à¤µ आंबेडकर को आज सà¤à¥€ संविधान निरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¤¾ के रूप में जानते हैं। लेकिन बहà¥à¤¤ ही कम को यह पता है कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ में जल की पूंजी को जोड़ने का नजरिया सबसे पहले डॉ. आंबेडकर ने ही पेश किया था। वे मानते थे कि छोटे बांध और नदियों की बदलती दिशाà¤à¤‚ तीन बड़ी समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का समाधान देती हैं। पहली, सिंचाई और पशà¥à¤§à¤¨ के लिठपरà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ जल उपलबà¥à¤§à¤¤à¤¾à¥¤ दूसरी, ऊरà¥à¤œà¤¾ के संकट से निजात और तीसरी, यातायात के à¤à¤• नठसाधन के रूप में जलमारà¥à¤— का उपयोग।यह अपने किसà¥à¤® की नई पहल थी, जिसमें 'नदी-घाटी' नियामक बनाने का मौलिक विचार था। डॉ. आंबेडकर यह मानते थे कि बाॠनियंतà¥à¤°à¤£ की जगह पानी का संरकà¥à¤·à¤£ à¤à¤• अनिवारà¥à¤¯ कानून के रूप में रखा जाना चाहिà¤à¥¤ वे कहते थे 'जल पà¥à¤°à¤¬à¤‚धन की समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं को लेकर देश में सही दिशा में सोचा ही नहीं गया। जहां जल की अधिकता à¤à¤• समसà¥à¤¯à¤¾ बन जाती है और उस नदी की समà¥à¤¦à¥à¤° की ओर दौड़ समाधान मानी जाती है। पानी à¤à¤• संपतà¥à¤¤à¤¿ है, जिसे पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ ने बिना किसी à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ के दिया है और इसे बिना à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ के लोगों के बीच पहà¥à¤‚चाना ही जल का संवरà¥à¤§à¤¨ है।
डॉ. आंमà¥à¤¬à¥‡à¤¡à¤•à¤° ने सोन नदी, दामोदर घाटी और महानदी जैसी कई योजनाà¤à¤‚ 3 जनवरी 1944 को कलकतà¥à¤¤à¤¾(कोलकाता) में पेश की थी। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने नदियों की बाॠके बारे में चल रही चिंताओं और पà¥à¤¨à¤°à¥à¤µà¤¾à¤¸ की योजनाओं को खारिज कर à¤à¤• ठोस योजना सामने रखी थी। लेकिन उस पर अमल नहीं हो सका और नदियों का पानी पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का उपहार न बनते हà¥à¤ आज à¤à¥€ अà¤à¤¿à¤¶à¤¾à¤ª के रूप में खड़ा है। यह पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥‚प उनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पेश à¤à¤¾à¤°à¤¤ की पहली 'जल नीति' के रूप में जाना जाता है, जो à¤à¤¾à¤°à¤¤ में जलसà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥‹à¤‚ की उपयà¥à¤•à¥à¤¤à¤¤à¤¾ के लिठà¤à¤• à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• दसà¥à¤¤à¤¾à¤µà¥‡à¤œ के रूप में दरà¥à¤œ है।
उनका कहना था - 'शà¥à¤°à¤®à¤¿à¤• व दलित à¤à¤µà¤‚ कमजोर वरà¥à¤— के लोगों के लिठयह योजनाà¤à¤‚ à¤à¤• सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨à¥€ सशकà¥à¤¤à¥€à¤•à¤°à¤£ के लिठकारà¥à¤¯ करेगी। यह उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ शांति, समृदà¥à¤§à¤¿, अचà¥à¤›à¥€ शिकà¥à¤·à¤¾ के साथ à¤à¤• अचà¥à¤›à¤¾ सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ और समà¥à¤®à¤¾à¤¨ मà¥à¤¹à¥ˆà¤¯à¤¾ कराà¤à¤‚गी। इससे कृषि, यातायात, ऊरà¥à¤œà¤¾ और औदà¥à¤¯à¥‹à¤—ीकरण उनके जीवन की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾à¤“ं को बà¥à¤¾à¤à¤—ा। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बिजली, साफ पानी, रोजगार और यातायात का साधन मिलेगा।'
डॉ. अंबेडकर ने जब à¤à¤¾à¤°à¤¤ के संविधान को अंतिम रूप पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किया तो इसमें जल नीति के बारे में अनà¥à¤šà¥à¤›à¥‡à¤¦ 239 और 242 को सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ तरीके से समà¤à¤¾à¤¤à¥‡ हà¥à¤ कहा कि अंतरराजà¥à¤¯à¥€à¤¯ नदियों को जोड़ना, नदी घाटियों को विकसित करना जनहित में अनिवारà¥à¤¯ है।