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शताब्दी का सबसे अधिक अवधि वाला चंद्रग्रहण 27-28 की रात को

समूचे भारत व विश्व के कई जगहों को प्रभावित करने वाला चंद्रग्रहण 27-28 जुलाई की रात को होगा। इसकी खग्रास अवधि एक घंटा 43 मिनट की होगी। इसके कारण इसे शताब्दी का (सन 2001 से 2100) का सर्वाधिक दीर्घावधि वाला पूर्ण चंद्र ग्रहण कहा जा रहा है। 27 जुलाई को लाल ग्रह मंगल भी सम्मुख होगा। अर्थात सूर्य और मंगल एक दूसरे के विपरीत होंगे। इनके मध्य में पृथ्वी होगी। लिहाजा मंगल पृथ्वी के निकट आ जाएगा। यह सामान्य स्थिति की अपेक्षा अधिक चमकीला प्रतीत होगा। 

27 और 28 जुलाई को चमकता मंगल आकाश में ग्रहण ग्रस्त चंद्र के अत्यधिक निकट होगा। इसे सरलता से नग्न आंखों से देखा जा सकेगा। मंगल 31 जुलाई को पृथ्वी के सर्वाधिक निकट होगा। आंशिक चंद्र ग्रहण 27 जुलाई को भारतीय मानक समय अनुसार 23.54 मिनट पर आरंभ होगा। चंद्रमा पृथ्वी की छाया से धीरे-धीरे आच्छादित हो जाएगा तथा ग्रहण की खसाग्र अवस्था 28 जुलाई को भारतीय समय के अनुसार एक बजे आरंभ हो जाएगी। ग्रहण की पूर्णावस्था 28 जुलाई को भारतीय समय के अनुसार दो बजकर 43 मिनट तक रहेगी। इसके बाद चंद्रमा पृथ्वी की छाया से धीरे-धीरे बाहर आने लगेगा तथा आंशिक ग्रहण 28 जुलाई को भारतीय मानक समय के अनुसार तीन बजकर 49 मिनट पर समाप्त हो जाएगा।

 

कब होता है चंद्रग्रहण -

चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी छाया में आ जाता है तो सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक क्रम में आ जाते हैं। इस क्रम में ही चंद्र ग्रहण होता है। चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण हमेशा साथ- साथ होते हैं। इनमें करीब एक सप्ताह का अंतर होता है।

 

चांद गुजरेगा पृथ्वी के मध्य भाग से -

खगोल विज्ञान केंद्र कोलकाता के संजीव सेन के मुताबिक इस ग्रहण विशेष में चंद्रमा पृथ्वी की प्रच्छाया के मध्य भाग से गुजरेगा। साथ ही चंद्रमा अपभू पर होगा। अर्थात 27 जुलाई को वह पृथ्वी से अधिकतम दूरी पर होगा। अपनी कक्षा में वह धीमी गति से चलेगा। धीमा गतिमान पूर्ण चंद्रमा पृथ्वी की प्रच्छाया शंकु को पार करने में अधिक समय लेते हुए अधिक दूरी तय करेगा। लिहाजा यह शताब्दी का सर्वाधिक दीर्घावधि का पूर्ण चंद्रग्रहण होगा।

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