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जब भीम ने कराया युधिष्ठिर को समय का ज्ञान

 à¤à¤• बार दरबार खत्म होने पर युधिष्ठिर अपनी भाइयों और पत्नी द्रौपदी के साथ वार्तालाप कर रहे थे। उसी वक्त द्वारपाल ने आकर सूचना दी कि दो अतिथि आपसे मुलाकात करना चाहते हैं। युधिष्ठिर ने उनको कल आने का कहा। यह देखकर भीम वार्तालाप से उठकर चले गए और राजमहल के द्वार पर लगा घंटा बजाने लगे। किसी को कोई आश्चर्यजनक बात दिखाई दे, तभी वह घंटा बजाया जाता था।

भीम स्वयं विशाल काया के थे और घंटा भी काफी विशाल था। भीम उसको जोर-जोर से बजा रहे थे। घंटे की कर्कश आवाज से सभी के कान दहल गए। भीम के इस तरह से घंटा बजाते देख युधिष्ठिर ने भीम से घंटा बजाने का कारण पूछा। इस पर भीम वहां पर आए प्रजाजनों से बोले, ' हे प्रजाजनों हमारे राजा तो यमराज से भी श्रेष्ठ हो गए हैं। '

क्या कह रहे हो भीम? साफ- साफ क्यों नहीं कहते हो?

 

भीम ने उत्तर दिया, ' महाराज अभी-अभी आपने दो अतिथियों को कल आने का कहा है। इसका अर्थ यह है कि आपको पूरा भरोसा है कि आप कल जीवित रहोगे। जबकि वास्तविकता यह है कि मनुष्य को इस बात की बिलकुल जानकारी नहीं होती कि दूसरे दिन क्या घटित होने वाला है। कल का भरोसा किस आधार पर किया जा सकता है। आपका अतिथियों को कल बुलाना इस बात की सूचना देता है कि कल आप इस धरती पर रहोगे। 'धर्मराज युधिष्ठिर को तुरंत अपनी गलती महसूस हुई और उन्होंने तुरंत द्वारपाल को आदेश दिया कि दोनों अतिथियों को आज ही बुलाया जाए। अतिथि दरबार में हाजिर हुए और धर्मराज युधिष्ठिर ने उनकी समस्या का समाधान किया।

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