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वरिष्ठ पत्रकार विष्णु खरे का निधन

हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि, पत्रकार और हिंदी अकादमी के उपाध्यक्ष विष्णु खरे का निधन हो गया है. उन्हें पिछले सप्ताह ब्रेन स्ट्रोक की वजह से नई दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उन्हें पिछले बुधवार को ब्रेन स्ट्रोक हुआ था, जिसके बाद अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. बता दें कि खरे मुंबई रह रहे थे, लेकिन दिल्ली हिंदी अकादमी का उपाध्यक्ष बनने के बाद वे दिल्ली में ही रह रहे थे.

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में जन्मे विष्णु खरे कवि के साथ ही अनुवादक, फिल्म आलोचक, पटकथा लेखक और पत्रकार भी रहे हैं. वे मयूर विहार के हिंदुस्तान अपार्टमेंट में किराए के एक कमरे में अकेले रहते थे. विष्णु खरे के निधन की खबर आने के बाद साहित्य जगत के लोग सोशल मीडिया पर उन्हें याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं.

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उन्होंने इंदौर के क्रिश्चियन कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में एमए करने के बाद हिंदी पत्रकारिता से अपने करियर की शुरुआत की. वे कुछ समय तक 'दैनिक इन्दौर' में उप संपादक रहे और बाद में उन्होंने दिल्ली, लखनऊ और जयपुर में नवभारत टाइम्स के संपादक का काम संभाला.

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सम्मान

वे हिंदी साहित्य की प्रतिनिधि कविताओं की सबसे अलग और प्रखर आवाज थे. उन्हें हिंदी साहित्य के नाइट ऑफ द व्हाइट रोज सम्मान, हिंदी अकादमी साहित्य सम्मान, शिखर सम्मान, रघुवीर सहाय सम्मान, मैथिलीशरण गुप्त सम्मान से सम्मानित किया गया था.

रचनाएं

विष्णु खरे को हिंदी साहित्य में विश्व प्रसिद्ध रचनाओं के अनुवादक के रूप में भी याद किया जाता है. उन्होंने मशहूर ब्रिटिश कवि टीएस इलियट का अनुवाद किया और उस पुस्तक का नाम 'मरु प्रदेश और अन्य कविताएं' है. उनकी रचनाओं में काल और अवधि के दरमियान, खुद अपनी आंख से, पिछला बाकी, लालटेन जलाना, सब की आवाज के पर्दे में, आलोचना की पहली किताब आदि शामिल है.

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