वरिषà¥à¤ पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° विषà¥à¤£à¥ खरे का निधन
हिंदी के सà¥à¤ªà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ कवि, पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° और हिंदी अकादमी के उपाधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· विषà¥à¤£à¥ खरे का निधन हो गया है. उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पिछले सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ बà¥à¤°à¥‡à¤¨ सà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‹à¤• की वजह से नई दिलà¥à¤²à¥€ के जीबी पंत असà¥à¤ªà¤¤à¤¾à¤² में à¤à¤°à¥à¤¤à¥€ कराया गया था. उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पिछले बà¥à¤§à¤µà¤¾à¤° को बà¥à¤°à¥‡à¤¨ सà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‹à¤• हà¥à¤† था, जिसके बाद असà¥à¤ªà¤¤à¤¾à¤² में à¤à¤°à¥à¤¤à¥€ करवाया गया था. बता दें कि खरे मà¥à¤‚बई रह रहे थे, लेकिन दिलà¥à¤²à¥€ हिंदी अकादमी का उपाधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· बनने के बाद वे दिलà¥à¤²à¥€ में ही रह रहे थे.
मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के छिंदवाड़ा में जनà¥à¤®à¥‡ विषà¥à¤£à¥ खरे कवि के साथ ही अनà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤•, फिलà¥à¤® आलोचक, पटकथा लेखक और पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° à¤à¥€ रहे हैं. वे मयूर विहार के हिंदà¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ अपारà¥à¤Ÿà¤®à¥‡à¤‚ट में किराठके à¤à¤• कमरे में अकेले रहते थे. विषà¥à¤£à¥ खरे के निधन की खबर आने के बाद साहितà¥à¤¯ जगत के लोग सोशल मीडिया पर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ याद करते हà¥à¤ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤‚जलि अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ कर रहे हैं.
हिंदी दिवस: जानें- कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ मनाया जाता है ये दिन, कैसे हà¥à¤ˆ शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤
उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इंदौर के कà¥à¤°à¤¿à¤¶à¥à¤šà¤¿à¤¯à¤¨ कॉलेज से अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ साहितà¥à¤¯ में à¤à¤®à¤ करने के बाद हिंदी पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤°à¤¿à¤¤à¤¾ से अपने करियर की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ की. वे कà¥à¤› समय तक 'दैनिक इनà¥à¤¦à¥Œà¤°' में उप संपादक रहे और बाद में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने दिलà¥à¤²à¥€, लखनऊ और जयपà¥à¤° में नवà¤à¤¾à¤°à¤¤ टाइमà¥à¤¸ के संपादक का काम संà¤à¤¾à¤²à¤¾.
विशà¥à¤µ हिंदी समà¥à¤®à¥‡à¤²à¤¨ कà¥à¤¯à¤¾ पिकनिक मनाने की जगह है?
समà¥à¤®à¤¾à¤¨
वे हिंदी साहितà¥à¤¯ की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ कविताओं की सबसे अलग और पà¥à¤°à¤–र आवाज थे. उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ हिंदी साहितà¥à¤¯ के नाइट ऑफ द वà¥à¤¹à¤¾à¤‡à¤Ÿ रोज समà¥à¤®à¤¾à¤¨, हिंदी अकादमी साहितà¥à¤¯ समà¥à¤®à¤¾à¤¨, शिखर समà¥à¤®à¤¾à¤¨, रघà¥à¤µà¥€à¤° सहाय समà¥à¤®à¤¾à¤¨, मैथिलीशरण गà¥à¤ªà¥à¤¤ समà¥à¤®à¤¾à¤¨ से समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ किया गया था.
रचनाà¤à¤‚
विषà¥à¤£à¥ खरे को हिंदी साहितà¥à¤¯ में विशà¥à¤µ पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ रचनाओं के अनà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤• के रूप में à¤à¥€ याद किया जाता है. उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मशहूर बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ कवि टीà¤à¤¸ इलियट का अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ किया और उस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• का नाम 'मरॠपà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ और अनà¥à¤¯ कविताà¤à¤‚' है. उनकी रचनाओं में काल और अवधि के दरमियान, खà¥à¤¦ अपनी आंख से, पिछला बाकी, लालटेन जलाना, सब की आवाज के परà¥à¤¦à¥‡ में, आलोचना की पहली किताब आदि शामिल है.