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करगिल शहीदों की याद में दिल्ली से द्रास तक निकलेगी विजय मशाल

साल 1999 के करगिल युद्ध के बारे में सोचकर आज भी भारतीयों का मन गर्व से भर उठता है. यह ऐसा युद्ध था, जिसमें पाकिस्तान को बुरी तरह मुंह की खानी पड़ी थी. 26 जुलाई को करगिल युद्ध के 20 साल पूरे हो जाएंगे. इस मौके पर करगिल युद्ध के शहीदों की याद में भारतीय सेना कई कार्यक्रम आयोजित कर रही है. करगिल के जांबाजों की याद में दिल्ली के वॉर मेमोरियल से एक विजय मशाल निकाली जाएगी.

इस विजय मशाल को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रज्वलित कर उन जवानों को याद किया, जिन्होंने देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहूति दे दी. इस मौके पर आर्मी चीफ बिपिन रावत भी मौजूद रहे. करगिल के वीरों की याद में इंडिया गेट के वॉर मेमोरियल से यह मशाल द्रास के उसी मेमोरियल तक जाएगी, जहां वीरों की गौरवगाथा लिखी है. कार्यक्रम में करगिल युद्ध में भाग ले चुके सैनिकों के अलावा एनसीसी कैडेट्स और छात्र भी शामिल होंगे.

ऐसी है मशाल की डिजाइन

मशाल की डिजाइन बेहद अलग है. इसका सबसे ऊपर का हिस्सा कॉपर का है और बीच का हिस्सा कांसे का. नीचे का हिस्सा लकड़ी का है. अमर जवानों के त्याग को दर्शाने वाला चिन्ह बीच में है. करगिल विजय को अभी 12 दिन बाकी हैं. ये मशाल 11 शहरों से होते हुए द्रास तक पहुंचेगी. मशाल को टाइगर हिल, तूलिंग पॉइंट और पॉइंट 4875 पर भी ले जाया जाएगा.

करगिल युद्ध की कुछ अहम बातें

- करगिल युद्ध 18 हजार फीट की ऊंचाई पर 3 जुलाई से 26 जुलाई के बीच लड़ा गया था.

-इस युद्ध में भारत के 522 जवान शहीद हुए थे. इनमें 26 अफसर, 23 जेसीओ और 473 जवान शामिल थे. घायल सैनिकों की तादाद 1363 थी.

-युद्ध में पाकिस्तान के 453 सैनिक मारे गए थे.

-करगिल की ऊंची चोटियों पर पाकिस्तानी सैनिकों ने कब्जा जमा लिया था. यहां करीब 5 हजार पाकिस्तानी सैनिक मौजूद थे.

-पाकिस्तानियों को खदेड़ने के लिए भारतीय वायुसेना ने मिग-27 और मिग-29 का इस्तेमाल किया था.

-भारत की ओर से 2 लाख 50 हजार गोले दागे गए थे. 300 से ज्यादा मोर्टार, तोप और रॉकेट का इस्तेमाल किया गया था. -दूसरे विश्व युद्ध के बाद यह पहला ऐसा युद्ध था, जिसमें दुश्मनों पर इतनी बमबारी की गई.

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