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ग्वालियर-राघोगढ़ से लेकर मैसूर-मेवाड़ और पटियाला तक, चुनावी रण में शाही वारिस आजमा रहे किस्मत

चुनाव की तारीख नजदीक आने के साथ-साथ देश की सियासी सरगर्मी दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। उधर, भाजपा और कांग्रेस समेत अन्य प्रमुख दलों ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अधिकतर उम्मीदवार तय कर दिए हैं। इन सूचियों में कई ऐसे नाम हैं, जिनका ताल्लुक राजघरानों से है। सूची में दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, दुष्यंत सिंह जैसे चर्चित नाम हैं।लोकसभा चुनाव में राघोगढ़ राजपरिवार से ताल्लुक रखने वाले दिग्विजय सिंह अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। कांग्रेस ने राजगढ़ लोकसभा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को उम्मीदवार बनाया है। राघोगढ़ ब्रिटिश राज में ग्वालियर रेजीडेंसी की एक रियासत हुआ करती थी। इसकी स्थापना 1673 में लाल सिंह खीची ने की थी। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के पिता बलभद्र सिंह-II इस राजघराने के अंतिम शासक रहे। ग्वालियर राजघराने के वंशज ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना संसदीय क्षेत्र से भाजपा के उम्मीदवार हैं। राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया अभी केंद्र की मोदी सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री हैं। 

आजादी के पहले ग्वालियर पर सिंधिया राजाओं का राज हुआ करता था। ज्योतिरादित्य सिंधिया के माता-पिता ग्वालियर के पूर्व शासक माधवराव सिंधिया और माधवी राजे सिंधिया थे, जो एक मराठा रियासत थी। ज्योतिरादित्य ग्वालियर रियासत के अंतिम आधिकारिक शासक जीवाजीराव सिंधिया के पोते हैं।
राजस्थान 
पूर्व धौलपुर रियासत से संबंध रखने वाले दुष्यंत सिंह झालावाड़-बारां लोकसभा सीट से उम्मीदवार हैं। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत भाजपा के उम्मीदवार हैं। दो बार की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया राजघराने से ताल्लुक रखती हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया उनके भतीजे हैं, जो अभी केंद्र में मंत्री हैं। 

भाजपा सांसद दुष्यंत सिंह के पिता का नाम हेमंत सिंह है। राणा हेमंत सिंह 1954 तक धौलपुर के महाराजा थे।

राजस्थान की ही राजसमंद लोकसभा सीट से मेवाड़ घराने की राजकुमारी महिमा कुमारी चुनाव लड़ रही हैं। महिमा को भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया है। मेवाड़ साम्राज्य राजपूताना क्षेत्र में एक स्वतंत्र राज्य था। इस राज्य के अंतिम आधिकारिक शासक भूपाल सिंह थे। 
उत्तराखंड
टिहरी लोकसभा के चुनावी समर में राजपरिवार की किस्मत दांव पर है। यहां से भाजपा ने राजपरिवार की सदस्य माला राज्यलक्ष्मी शाह को उम्मीदवार बनाया है। राज्यलक्ष्मी शाह अभी टिहरी लोकसभा सीट से सांसद भी हैं।

नेपाल में जन्मी राज्यलक्ष्मी का विवाह 1975 में टेहरी गढ़वाल के महाराजा मनुजेंद्र शाह साहिब बहादुर से हुआ था। गढ़वाल साम्राज्य के अंतिम शासक महाराजा मनबेंद्र शाह थे, जिन्होंने 1946 से 1949 तक शासन किया था।
पश्चिम बंगाल
कृष्णानगर शाही परिवार की सदस्य अमृता रॉय लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रही हैं। अमृता को भाजपा ने कृष्णानगर से अपना उम्मीदवार बनाया है, जो हाल ही में पार्टी में शामिल हुई थीं। शाही उम्मीदवार का सामना तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा से होगा।

अमृता रॉय कृष्णानगर के शाही परिवार से आती हैं और उन्हें लोग 'राजबाड़ी की राजमाता' भी कहते हैं। दरअसल, अमृता रॉय कृष्णानगर की राजबाड़ी के 39वें वंशज सौमिष चंद्र रॉय की पत्नी हैं। कृष्णानगर में 18वीं सदी में इस परिवार का राज हुआ करता था। इसी परिवार से संबंध रखने वाले महाराजा कृष्णचंद्र रॉय ने नादिया में 1728 से 1782 तक राज किया था। कृष्णचंद्र को मुगल शासन के विरोध के साथ-साथ उनके राज्य में कला के विस्तार और संरक्षण का श्रेय दिया जाता है।
पंजाब
राज्य के पूर्व पटियाला रियासत की महारानी परणीत कौर भी चुनाव मैदान में हैं। पटियाला से कांग्रेस सांसद चुनी गईं परणीत कौर इस बार भाजपा की उम्मीदवार हैं। उनके पति कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।

परणीत कौर के पति कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब की सबसे बड़ी रियासत के पूर्व शासक, पटियाला के महाराजा यादवेंद्र सिंह के बेटे और उत्तराधिकारी थे। अमरिंदर सिंह 1974 में अपने पिता के उत्तराधिकारी के रूप में पटियाला के महाराजा बने, जिसके बाद प्रणीत कौर पटियाला की महारानी बनीं। यादवेंद्र सिंह इस रियासत के अंतिम आधिकारिक महाराजा थे।
कर्नाटक
मैसूर के पूर्व शाही परिवार के वंशज यदुवीर कृष्णदत्त चामराजा वाडियार भी सियासी समर में उतर चुके हैं। उन्हें भाजपा ने कर्नाटक की मैसूर सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है। यदुवीर सबसे अमीर भारतीय शाही परिवारों में से एक मैसूर साम्राज्य के पूर्ववर्ती शाही परिवार के 27वें मुखिया हैं। जयचामाराजेंद्र वाडियार मैसूर के अंतिम आधिकारिक महाराजा थे।
त्रिपुरा
राज्य के शाही परिवार से जुड़ी कृति देवी देबबर्मन भी इस चुनाव में उतरी हैं। कृति देवी को भाजपा ने उनके मायके त्रिपुरा पूर्व संसदीय क्षेत्र से मैदान में उतारा है। वह त्रिपुरा के शाही परिवार के मुखिया प्रद्योत माणिक्य देबबर्मा की बड़ी बहन हैं। हाल ही में त्रिपुरा की पार्टी टिपरा मोथा ने भाजपा के साथ लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन किया था। इसी समझौते के तहत प्रद्योत की बहन कृति भाजपा की उम्मीदवार बनाई गई हैं।

दिलचस्प है कि कृति देवी देबबर्मन का ताल्लुक छत्तीसगढ़ की पूर्ववर्ती कवर्धा रियासत से भी है। उनका विवाह छत्तीसगढ़ के कवर्धा के राजा और पूर्व विधायक योगेश्वर राज सिंह के साथ हुआ है।
ओडिशा
राज्य के पटनागढ़ शाही परिवार से संगीता कुमार सिंह देव चुनाव मैदान में हैं। संगीता अभी बोलांगीर से भाजपा की सांसद हैं। वह पटनागढ़ के महाराजा केवी सिंह देव की पत्नी हैं। पटना की पूर्व रियासत पर 1931 से महाराजा राजेंद्र नारायण सिंह देव का शासन था। देश की आजादी के बाद दिसंबर 1947 में रियासत का विलय भारत संघ में हो गया।

राज्य के कालाहांडी जिले के शाही परिवार के सदस्य मालविका केशरी देव भी मैदान में हैं। उन्हें भाजपा ने कालाहांडी सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है। मालविका केशरी देव शाही परिवार के सदस्य, पूर्व सांसद अरका केशरी देव की पत्नी हैं।

कालाहांडी राज्य ब्रिटिश शासन के दौरान भारत की रियासतों में से एक था। इसे करोंद राज्य के नाम से भी जाना जाता है। कालाहांडी के अंतिम शासक प्रताप केशरी देव थे। यह जनवरी 1948 में भारतीय संघ में शामिल हो गया।
महाराष्ट्र
छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज शाहू महाराज इस चुनावी समर में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज शाहू महाराज कोल्हापुर सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। शाहू महाराज उस पूर्ववर्ती शाही परिवार के मुखिया हैं, जिन्होंने कोल्हापुर रियासत पर शासन किया था।

 



 
 

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