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सपा-कांग्रेस के बीच गठबंधन का ऐलान, 298 सीटों पर होगी टीम अखिलेश और 105 पर टीम राहुल

उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन का ऐलान हो गया है. इस के तहत कांग्रेस के 105 और सपा से 298 प्रत्याशी उतारे जाएंगे. सभी 403 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे.

नरेश उत्तम ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस ने कहा कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पार्टी 2017 का चुनाव मिलकर लड़ेंगे. सपा के सभी साथियों और कार्यकर्ताओं से हम अपील करते हैं कि इस गठबंधन के जो भी उम्मीदवार होंगे, उन्हें हम पूरा समर्थन करेंगे. और अखिलेश यादव को पुन: मुख्यमंत्री बनाएंगे.

हम विकास की धारा को आगे बढ़ाना चाहते हैं. उत्तर प्रदेश को देश में आगे की पंक्ति में लाने को प्रतिबद्ध हैं.

प्रदेश में जनता द्वारा बीजेपी, बसपा को हराकर सफाई की शुरुआत होगी.

इस गठबंधन मे कांग्रेस के 105 और सपा से 298 प्रत्याशी उतारे जाएंगे. सभी 403 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. ये उत्तर प्रदेश में नई सुबह की शुरुआत है.

इस मौके पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर ने कहा कि ये गठबंधन अखिलेश और राहुल गांधी द्वारा की गई कोशिश का नतीजा है. ये गठबंधन उत्तर प्रदेश को प्रगति की ओर ले जाएगा.

उत्तर प्रदेश की महिलाओं की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए ये गठबंधन खासतौर पर उनके सशक्तिकरण के लिए काम करेगा और ज्यादा से ज्यादा जोर लगाएगा.

हमें उम्मीद है सपा और कांग्रेस का ये गठबंधन सत्ता में आने के एक हफ्ते के अंदर साझा एक्शन प्लान देगा. शासन और सत्ता में नए आयाम स्थापित करेगा. उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार की नीतियों ​किसानों और खेतिहर मजदूरों का खासी क्षति पहुंचाई है.

इससे पहले समाजवादी पार्टी की तरफ से सूचना दी गई है कि सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर समाजवादी पार्टी के दफ्तर से शाम को 5.30 बजे संयुक्त प्रेसकांफ्रेंस कर गठबंधन का ऐलान करना था. उधर 5.30 बजे प्रेस कांफ्रेंस शुरू होते ही, सपा के प्रदेश अध्यक्ष पहुंचे और उन्होंने ऐलान किया कि अब प्रेस कांफ्रेंस आधे घंटे बाद शाम 6 बजे होगी.

सूत्रों के अनुसार प्रेस कांफ्रेंस में स्थान को लेकर कांग्रेस की तरफ से आपत्ति जताई गई थी. कांग्रेस नेताओं का मानना था कि चूंकि कांग्रेस एक राष्ट्रीय पार्टी है और गठबंधन का मतलब दोनों ही पार्टियों का एक साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना ही होता है, लिहाजा गठबंधन का ऐलान भी किसी तीसरी जगह से किया जाए. इसीलिए ऐन मौके पर प्रेस कांफ्रेंस स्थल को समाजवादी पार्टी के दफ्तर से बदलकर होटल ताज कर दिया.

वैसे शनिवार शाम से ही गठबंधन को लेकर सकारात्मक परिणाम आने की उम्मीद की जाने लगी थी, जब ये पता चला कि मामले इच्छुक दिखाई दे रहे हैं. सपा खेमे की तरफ से कांग्रेस के थोड़े लचीले रुख को अपनाने की गुजारिश की जा रही थी. उधर, कांग्रेस के नेता भी कुछ ऐसी बात अखिलेश के लिए कहते दिखे. उनका कहना था कि गठबंधन दोनों की मजबूरी है. जाहिर है कि इसके लिए अखिलेश यादव को थोड़ा समझना होगा.

सीटों को लेकर मतभेद

गठबंधन को लेकर प्रशांत किशोर और धीरज श्रीवास्तव की मुलाकात अखिलेश से शनिवार शाम हुई थी, लेकिन उस बैठक में कुछ खास नतीजा नहीं निकला. रविवार को घोषणापत्र ऐलान के बाद अखिलेश की कई राउंड दिल्ली में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से बातचीत हुई, जिसके बाद आखिरकार गठबंधन पर सहमति बन गई.

शुरुआत में कांग्रेस ने 120 सीटें मांगी, लेकिन अखिलेश 100 सीटों से अधिक देने को तैयार नहीं थे. लेकिन जैसे—जैसे बात आगे बढ़ी, कांग्रेस को 105 और सपा को 298 सीटों पर जाकर सहमति हो गई.

रायबरेली ओर अमेठी के अलावा पश्चिम उत्तर प्रदेश की कई सीटों को लेकर गतिरोध बना हुआ था. दरअसल, कांग्रेस चाहती है कि इन जिलों की सारी सीटें गठबंधन के तहत कांग्रेस को मिले. वहीं समाजवादी पार्टी इस बात को इस आधार पर खारिज कर रही है कि वहां सपा के जीते विधायक हैं.

इससे पहले गठबंधन को लेकर आखिरी वक्त तक कांग्रेसी नेताओं ने उम्मीद नहीं छोड़ी थी. पार्टी के यूपी प्रभारी और महासचिव गुलाम नबी आजाद ने साफ किया कि वैसे तो पार्टी ने पहले और दूसरे चरण के प्रत्याशी फाइनल कर दिए हैं. इन सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की तैयारियां हो चुकी हैं, लेकिन बातचीत के रास्ते अभी बंद नहीं हुए हैं.

सात चरणों में होना है चुनाव

उत्तर प्रदेश में 11 फरवरी से 8 मार्च के बीच सात चरणों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. कांग्रेस, राष्ट्रीय लोक दल और समाजवादी पार्टी के अखिलेश धड़े के बीच गठबंधन अगर होता भी है तो इसके बावजूद भी बहुकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा.

केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने के बाद जिस तरह से बीजेपी को दिल्ली और बिहार में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है, वैसे में उत्तर प्रदेश का चुनाव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है. मुख्यमंत्री चेहरे को सामने न लाकर एक बार फिर बीजेपी ने पीएम मोदी के चेहरे पर दांव खेला है. इसका कितना फायदा उसे इन चुनावों में मिलेगा वह 11 मार्च को सामने आ ही जाएगा.

यूपी विधानसभा में कुल 403 सीटें

इस बार उत्तर प्रदेश चुनावों में समाजवादी पार्टी में मचे घमासान के अलावा प्रदेश की कानून व्यवस्था, सर्जिकल स्ट्राइक, नोटबंदी और विकास का मुद्दा प्रमुख रहने वाला है. जहां एक ओर बीजेपी और बसपा प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर अखिलेश सरकार को घेर रही हैं, वहीं विपक्ष नोटबंदी के फैसले को भी चुनावी मुद्दा बना रहा है.

यूपी विधानसभा में कुल 403 सीटें हैं. 2012 के विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी ने 224 सीट जीतकर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी. पिछले चुनावों में बसपा को 80, बीजेपी को 47, कांग्रेस को 28, रालोद को 9 और अन्य को 24 सीटें मिलीं थीं.

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