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7वां वेतन आयोग: बढ़ेगा कर्मचारियों का एचआरए और महंगाई भत्ता?

केन्द्र सरकार के कर्मचारियों के लंबे वक्त से मोदी सरकार का सातवें वेतन आयोग में की गई भत्तों पर सिफारिशों पर फैसले का इंतजार है. केन्द्र सरकार ने पिछले साल जून में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को मंजूरी दे दी थी लेकिन भत्तों पर की गई सिफारिशों को रिव्यू करने के लिए वित्त सचिव अशोक लवासा की कमेटी गठित कर दी थी. संभावना जताई जा रही है कि यह कमेटी मंगलवार अपनी रिपोर्ट वित्त मंत्री अरुण जेटली को सौंप देगी.

वेतन आयोग ने केन्द्र सरकार के कर्मचारियों की हाउस रेंट अलाउंस में कटौती करते हुए 24 फीसदी करने की सिफारिश की है. छठवें वेतन आयोग से केन्द्रीय कर्मचारियों को 30 फीसदी एचआरए मिलता था. कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक रिव्यू कमेटी ने एचआरए की दर में कटौती नहीं करने की सिफारिश की है.

 

गौरतलब है कि केन्द्र सरकार ने केन्द्रीय कर्मचारियों के भत्ते पर रिव्यू कमेटी का गठन जुलाई 2016 में किया था. शुरुआत में कमेटी को अपनी सिफारिश करने के लिए 4 महीने का समय दिया था जिसे बाद में बढ़ाकर 22 फरवरी 2017 कर दिया गया था.

सातवें वेतन आयोग ने केन्द्रीय कर्मियों को छठवें वेतन आयोग के बाद से मिल रहे 196 भत्तों में से 52 भत्तों को खत्म करने की सिफारिश की थी और 36 भत्तों को आपस में मर्ज करने के लिए कहा था. वेतन आयोग ने 12 भत्तों में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया था.

वेतन आयोग से जुड़ी प्रमुख बातें
-गौरतलब है कि वेतन आयोग के इजाफे का सीधा फायदा 47 लाख केन्द्रीय कर्मचारियों और 53 लाख पेंशनभोगियों को मिलेगा. इसमें सेना के 14 लाख कर्मचारी और 18 लाख पेंशन भोगी भी शामिल हैं. अभी सरकार ज्यादातर कर्मचारियों को सिर्फ बेसिक सैलरी में इजाफे एरियर दे पाई है वहीं अलाउंस की रकम पर फैसला होना बाकी है.

-केन्द्र सरकार का पिछले साल जुलाई में आए नोटिफिकेशन के मुताबिक केन्द्रीय कर्मचारी की न्यूमतम सैलरी 7,000 रुपये प्रति माह से बढ़कर 18,000 रुपये हो गई थी. वहीं सीनियर स्तर पर कैबिनेट सेक्रेटरी को 2.5 लाख रुपये तक की सैलरी मिल सकती है जबकि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों से पहले उसे महज 90,000 तक की सैलरी मिलती थी.

-लिहाजा, एक बात साफ है कि केन्द्र सरकार द्वारा इस फैसले में लगे समय के चलते वह मौजूदा वित्त वर्ष (2016-17) के बजट से केन्द्र सरकार के कर्मचारियों को अलाउंस नहीं दे रही है. इससे वेतन आयोग की सिफारिशों से केन्द्र सरकार के खजाने पर पड़े बोझ को सरकार ने अगले वित्त वर्ष के लिए टाल दिया और मौजूदा वित्त वर्ष में सरकारी खजाने के लिए बचत करने मे कामयाब हुई है.

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