महाशिवरातà¥à¤°à¤¿ आज : निशीथ काल में करें शिवपूजा, जानिठपूजा विधि और मंतà¥à¤°
मानव जीवन के कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ के लिठà¤à¤—वान शिव के निराकार से साकार रूप में आने की रातà¥à¤°à¤¿ महाशिवरातà¥à¤°à¤¿ है। यह पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वरà¥à¤· में फालà¥à¤—à¥à¤¨ मास की कृषà¥à¤£ चतà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¥€ को देशà¤à¤° में धूम-धाम से मनाई जाती है। इस वरà¥à¤· 11 मारà¥à¤š की अरà¥à¤§à¤°à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¿ को निशीथ काल में à¤à¤—वान शिव की विशेष पूजा-अरà¥à¤šà¤¨à¤¾, अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• किया जाà¤à¤—ा। इस दिन शिवयोग के साथ-साथ धनिषà¥à¤ ा नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤° à¤à¤µà¤‚ मकर के चंदà¥à¤°à¤®à¤¾ का विशेष योग à¤à¥€ होगा। इस योग में वà¥à¤°à¤¤, पूजन, अरà¥à¤šà¤¨à¤¾, अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• करने से à¤à¤—वान शिव की विशेष कृपा पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है और मनोवांछित फल मिलते हैं।
मगर, कà¥à¤¯à¤¾ आपको पता है कि कई तिथियों जैसे उदयातॠतिथि, मधà¥à¤¯à¤¾à¤¹à¥à¤¨à¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¿à¤¨à¤¿, पà¥à¤°à¤¦à¥‹à¤· वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¿à¤¨à¤¿, निशीथवà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¿à¤¨à¤¿ तिथि आदि में से महाशिवरातà¥à¤°à¤¿ परà¥à¤µ को निशीथ वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¿à¤¨à¤¿ तिथि में मनाने की मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है। यानी फालà¥à¤—à¥à¤¨ मास की कृषà¥à¤£ चतà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¥€ की रातà¥à¤°à¤¿ को यह परà¥à¤µ मनाया जाता है। पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• मास की कृषà¥à¤£ चतà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¥€ पर शिवरातà¥à¤°à¤¿ होती है और शिवà¤à¤•à¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• कृषà¥à¤£à¤šà¤¤à¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¥€ का वà¥à¤°à¤¤ अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• अरà¥à¤šà¤¨ इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ करते ही हैं। सपà¥à¤¤à¤¶à¤¤à¥€ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° संसार में तीन रातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ बताई गई हैं- कालरातà¥à¤°à¤¿, महारातà¥à¤°à¤¿ मोहरातà¥à¤°à¤¿à¥¤
शिवरहसà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤°:-
चतà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¥à¤¯à¤¾à¤‚ तॠकृषà¥à¤£à¤¾à¤¯à¤¾à¤‚ फालà¥à¤—à¥à¤¨à¥‡ शिवपूजनमà¥à¥¤
तामà¥à¤ªà¥‹à¤·à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨à¥‡à¤¨ विषयानॠपरिवरà¥à¤œà¤¯à¥‡à¤¤à¥à¥¤à¥¤
ईशानसंहिता के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°-
फालà¥à¤—à¥à¤¨à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£à¤šà¤¤à¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¥à¤¯à¤¾à¤®à¤¾à¤¦à¤¿à¤¦à¥‡à¤µà¥‹ महानिशि।
शिवलिङà¥à¤—तयादà¥à¤à¥‚तः कोटसूरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤ªà¥à¤°à¤à¤ƒà¥¤à¥¤
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ फालà¥à¤—à¥à¤¨ कृषà¥à¤£ चतà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¥€ के निशीथकाल (अरà¥à¤§à¤°à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¿) में à¤à¤—वान शिव का जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग में पà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤µ माना जाता है। इस कारण महाशिवरातà¥à¤°à¤¿ मनाने का विधान है। यह वà¥à¤°à¤¤ करोड़ों पापों का शमन करने वाला तथा मोकà¥à¤· पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ कराने वाला महावà¥à¤°à¤¤ है। कहते हैं-
शिवरातà¥à¤°à¤¿à¤µà¥à¤°à¤¤à¤‚ नाम सरà¥à¤µà¤ªà¤¾à¤ªà¤ªà¥à¤°à¤£à¤¾à¤¶à¤¨à¤®à¥à¥¤
आचाणà¥à¤¡à¤¾à¤²à¤®à¤¨à¥à¤·à¥à¤¯à¤¾à¤£à¤¾à¤‚ à¤à¥à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¥à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤•à¤®à¥à¥¤à¥¤
रातà¥à¤°à¤¿ के समय à¤à¥‚त, पिशाच, पà¥à¤°à¥‡à¤¤, शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ और सà¥à¤µà¤¯à¤‚ शिवजी à¤à¥à¤°à¤®à¤£ करते हैं। अतः उस समय इनका पूजन करने से मनà¥à¤·à¥à¤¯ के पाप दूर हो जाते हैं। यदि यह शिवरातà¥à¤°à¤¿ तà¥à¤°à¤¿à¤¸à¥à¤ªà¤°à¥à¤¶à¤¾ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ तà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤¦à¤¶à¥€, चतà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¥€ की तिथि में पड़ रही हो और उस दिन अमावसà¥à¤¯à¤¾ à¤à¥€ हो तो यह अधिक उतà¥à¤¤à¤® होती है।फालà¥à¤—à¥à¤¨à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ चतà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¥€ तिथि में सूरà¥à¤¯ और चनà¥à¤¦à¥à¤°à¤®à¤¾ अधिक निकट होते हैं। अतः यही समय जीवनरूपी चनà¥à¤¦à¥à¤°à¤®à¤¾ का शिवरूपी सूरà¥à¤¯ के साथ योग-मिलन होता है। यह वà¥à¤°à¤¤ काम, कà¥à¤°à¥‹à¤§, मोह, लोठआदि विकारों से मà¥à¤•à¥à¤¤ करके परम सà¥à¤–शानà¥à¤¤à¤¿ à¤à¤¶à¥à¤µà¤°à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ को पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करता है।
वà¥à¤°à¤¤à¤µà¤¿à¤§à¤¿-
शिवपà¥à¤°à¤¾à¤£ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°, पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ काल सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करके मसà¥à¤¤à¤• पर तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤£à¥à¤¡ लगाठतथा पतà¥à¤°, पà¥à¤·à¥à¤ª, धतà¥à¤°à¤¾, बिलफल इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ शिवपà¥à¤°à¤¿à¤¯ वसà¥à¤¤à¥à¤“ं को à¤à¤•à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¤ करके शिवमनà¥à¤¦à¤¿à¤° जाà¤à¥¤ शिव को नमसà¥à¤•à¤¾à¤° कर हाथ में बेलपतà¥à¤°, पà¥à¤·à¥à¤ª, अकà¥à¤·à¤¤à¤¾à¤¦à¤¿ लेकर संकलà¥à¤ª कहे-
शिवरातà¥à¤°à¤¿à¤µà¥à¤°à¤¤à¤‚ हà¥à¤¯à¥‡à¤¤à¤¤à¥ करिषà¥à¤¯à¥‡à¤½à¤¹à¤‚ महाफलमà¥à¥¤
निरà¥à¤µà¤¿à¤˜à¥à¤¨à¤®à¤¸à¥à¤¤à¥ मे चातà¥à¤° तà¥à¤µà¤¤à¥à¤ªà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦à¤¾à¤œà¥à¤œà¤—तà¥à¤ªà¤¤à¥‡à¥¤à¥¤
यह कहकर हाथ की सामगà¥à¤°à¥€ à¤à¤—वान शिव पर छोडने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ यह शà¥à¤²à¥‹à¤• पढ़ें-
देवदेव महादेव नीलकणà¥à¤ नमोऽसà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‡à¥¤ करà¥à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤šà¥à¤›à¤¾à¤®à¥à¤¯à¤¹à¤‚ देव शिवरातà¥à¤°à¤¿à¤µà¥à¤°à¤¤à¤‚ तव।।
तव पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦à¤¾à¤¦à¥à¤¦à¥‡à¤µà¥‡à¤¶ निरà¥à¤µà¤¿à¤˜à¥à¤¨à¥‡à¤¨ à¤à¥‡à¤µà¤¦à¤¿à¤¤à¤¿à¥¤ कामादà¥à¤¯à¤¾à¤ƒ शतà¥à¤°à¤µà¥‹ मां वै पीडां कà¥à¤°à¥à¤µà¤¨à¥à¤¤à¥ नैव हि।। (शिवपà¥. कोटिरूदà¥à¤°à¤¸à¤‚हिता.38.28.29)
उसके पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ à¤à¤—वान का ऊॅ नमः शिवाय मनà¥à¤¤à¥à¤° का जप करना चाहिà¤à¥¤ समसà¥à¤¤ वà¥à¤¯à¤¾à¤§à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के निवारण के लिठवà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° वृदà¥à¤§à¤¿ à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤– शानà¥à¤¤à¤¿ के लिठबà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ को बà¥à¤²à¤¾à¤•à¤° à¤à¤—वान का रातà¥à¤°à¤¿ में चारों पà¥à¤°à¤¹à¤° में रूदà¥à¤°à¤¾à¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• करना चाहिà¤à¥¤ वासà¥à¤¤à¤µ में से शिवरातà¥à¤°à¤¿ का अरà¥à¤¥ ही है शिवजी का रातà¥à¤°à¤¿ में पूजन करना और इसका विधान शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में बताया गया है। इस दिन à¤à¤—वान को सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करके शिवमय जीवन ही वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करना चाहिठतथा इस दिन दूध, घी, गनà¥à¤¨à¥‡ का रस, सरसों, दूध, शहद आदि पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शिव का अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• करना चाहिà¤à¥¤