महज 7 आमों की रखवाली में लगे हैं 4 गारà¥à¤¡ और 6 कà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‡, जानें कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ इतना खास है यह मैंगो?
जबलपà¥à¤° .चोरों के डर से लाठी-डंडों के साथ बगीचों में आमों की रखवाली करना आम बात है, मगर मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के जबलपà¥à¤° में आम के दो पेड़ों की रखवाली करने के लिठचार गारà¥à¤¡ और 6-6 कà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के इंतजाम किठगठहैं। जबलपà¥à¤° में बाग से कोई आम चà¥à¤°à¤¾ कर न ले जाà¤, इसलिठपेड़ के मालिक ने आम के दो पेड़ों को चार गारà¥à¤¡ और छह कà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‹à¤‚ का विशेष सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ कवच दिया है। इसका कारण आम की किसà¥à¤® है, जो à¤à¤¾à¤°à¤¤ में दà¥à¤°à¥à¤²à¤ है और दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में सबसे महंगे आमों में से à¤à¤• है।
दरअसल, यह कोई नॉरà¥à¤®à¤² आम नहीं है, जिसकी सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ के लिठइतने सारे बंदोबसà¥à¤¤ किठगठहैं, बलà¥à¤•à¤¿ यह जापान का लाल रंग वाला आम मियाजाकी है, जिसे सूरà¥à¤¯ के अंडे के रूप में à¤à¥€ जाना जाता है। दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के सबसे महंगे आम का दरà¥à¤œà¤¾ इसी किसà¥à¤® को मिला हà¥à¤† है। इस आम को लेकर किसान दंपति ने दावा किया कि पिछले साल अंतरराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ बाजार में इसे 2.70 लाख रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ किलोगà¥à¤°à¤¾à¤® के हिसाब से बेचा गया था। किसान दंपति संकलà¥à¤ª और रानी परिहार ने तीन साल पहले जबलपà¥à¤° में अपने बगीचे में इस आम के दो पौधे लगाठथे, जिसे चेनà¥à¤¨à¤ˆ के à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ ने दिया था।इस कपल को आम की इस बड़ी कीमत के बारे में कà¥à¤› नहीं पता था। पहले इस दंपतà¥à¤¤à¤¿ को लाल रंग के दो आम के फल दिखाई दिà¤à¥¤ जब उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इसके किसà¥à¤® के बारे में पता लगाया तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पाया कि यह मियाजाकी आम है, जो पिछले साल अंतरराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ बाजार में 2.70 लाख रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ किलो बिक रहा था। संकलà¥à¤ª परिहार ने कहा कि जब यह कहानी पिछले साल बाजार में फैली तो चोरों ने बाग पर हमला कर दिया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पेड़ के दो फल और डालियां चà¥à¤°à¤¾ लीं। हम किसी तरह पेड़ को बचाने में कामयाब हà¥à¤ और इस साल हमने उस पेड़ की सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ का विशेष इंतजाम किया है, जिसमें सात आम हैं।
उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि तीन साल पहले जब मैं कà¥à¤› पौधे खरीदने के लिठचेनà¥à¤¨à¤ˆ जा रहा था तो टà¥à¤°à¥‡à¤¨ में मैं à¤à¤• आदमी से मिला और उसने मà¥à¤à¥‡ ये पौधे दिठऔर उनके बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की तरह पौधों की देखà¤à¤¾à¤² करने के लिठकहा। हमने किसà¥à¤® के बारे में जाने बिना बाग में रोप दिया। पिछले साल जब हमने फल देखे तो हमने सामानà¥à¤¯ आम से उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बहà¥à¤¤ अलग पाया। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मैं नाम नहीं जानता था, इसलिठमैंने अपनी मां के नाम दामिनी के नाम पर फलों का नाम रखा। बाद में हमने इस किसà¥à¤® के बारे में खोज की तो असली नाम का पता चला, मगर यह अà¤à¥€ à¤à¥€ मेरे लिठदामिनी ही है।
रानी परिहार ने कहा कि अब आम की खेती करने वाले और फल पà¥à¤°à¥‡à¤®à¥€ मà¥à¤à¤¸à¥‡ संपरà¥à¤• कर रहे हैं। फलों के à¤à¤• वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤°à¥€ रमेश तनेजा ने मà¥à¤à¥‡ à¤à¤• आम के लिठ21000 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ देने की पेशकश की है, जबकि मà¥à¤‚बई के जौहरी इस आम के लिठबड़ी कीमत देने को तैयार हैं। मगर मैंने साफ तौर पर कहा है कि हम इसे किसी को नहीं बेचेंगे। हम फल का उपयोग अधिक पौधे उगाने के लिठकरेंगे।
हालांकि, विशेषजà¥à¤žà¥‹à¤‚ का मानना है कि इस आम की महंगी कीमत के पीछे का कारण जानने के लिठफल का ठीक से निरीकà¥à¤·à¤£ करने की जरूरत है। à¤à¤• वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• और बागवानी विà¤à¤¾à¤— के सेवानिवृतà¥à¤¤ निदेशक जीà¤à¤¸ कौशल ने कहा कि अफगानिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ की नूरजहां के बाद यह जापानी आम सà¥à¤µà¤¾à¤¦ के कारण नहीं कीमत के कारण सà¥à¤°à¥à¤–ियों में है। मैंने कà¥à¤› सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ से कहा कि वे जाकर पेड़ और फलों का निरीकà¥à¤·à¤£ करें ताकि यह पता चल सके कि यह असली है या हाईबà¥à¤°à¤¿à¤¡ है और यह इतना महंगा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ है।