कल गणेश चतुर्थी, नोट कर लें शुभ मुहूर्त, पूजन सामग्री, मंत्र व आरती

सनातन धर्म में गणेश चतुर्थी के पर्व बहुत महत्व है। यह त्योहार हर साल भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मनाया जाता है। इस बार विनायक चतुर्थी का पावन पर्व 7 सितंबर, शनिवार को है। दस दिन तक चलने वाले गणेश उत्सव का समापन अनंत चतुर्दशी के दिन होता है।
इंदौर के ज्योतिषाचार्य पंडित गिरीश व्यास ने बताया कि इस बार गणेश चतुर्थी के अवसर पर रवि योग सुबह 06 बजकर 02 मिनट से बन रहा है। इस शुभ योग में सभी प्रकार के पाप मिट जाते हैं। वहीं, सर्वार्थ सिद्धि योग दोपहर 12 बजकर 34 मिनट से बनेगा।
आइए ज्योतिषाचार्य गिरीश व्यास से जानते हैं गणेश चतुर्थी पर मूर्ति स्थापना का शुभ मुहूर्त, पूजन सामग्री, कथा, मंत्र और आरती।
गणेश चतुर्थी 2024 शुभ मुहूर्त
शुभ- प्रातः 7.45 से 9.18 तक
शुक्र होरा- प्रातः 10.20 से 11.23 तक
अभिजित- प्रातः 11.23 से 12.25 तक
चर- दोपहर 12.25 से 1.58 तक
लाभ- दोपहर 1.58 से 3.31 तक
अमृत- दोपहर 3.31 से 5.04 तक
लाभ- शाम 6.37 से 8.04 तक
मूर्ति स्थापना के लिए आवश्यक पूजा सामग्री
- भगवान गणेश को विराजित करने के लिए चौरंगा या पाटा और रखने के लिए वस्त्र।
- पूजा के लिए आवश्यक सामग्री हैं निरंजन, धूप, समई, कपूर और आरती की थाली।
- पांच फल, सुपारी, नारियल, पान के पत्ते, सूखा नारियल, गुड़ और कुछ सिक्के।
पूजा स्थल पर रखने के लिए क्लश, जल और आम के पत्ते।
भगवान गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
एक दंत दयावंत,चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी।।
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
पान चढ़े फल चढ़े,और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा।।
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।।
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
सूर श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा।।
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो,जाऊं बलिहारी।।
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
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