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ब्रह्मकुमारी शांति शिखर का पीएम मोदी ने किया उद्घाटन, बोले- मैं हूं शक्ति का पुजारी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "हमारे यहां कहा जाता है, 'आचारः परमो धर्म आचारः परमं तपः। आचारः परमं ज्ञानम् आचरात् किं न साध्यते' अत: आचारण ही सबसे बड़ा धर्म है, आचरण ही सबसे बड़ा तप है और आचरण ही सबसे बड़ा ज्ञान है। आचरण से क्या कुछ सिद्ध नहीं हो सकता। यानी बदलाव तब होता है जब अपने कथन को आचरण में भी उतारा जाए और यही ब्रह्माकुमारी संस्था की आध्यात्मिक शक्ति का स्रोत है।" पीएम ने कहा, 'प्रधानमंत्री बनने के बाद मैं जहां भी गया, एक भी हवाई अड्डा या देश ऐसा नहीं रहा जहाँ मैंने ब्रह्माकुमारीज़ के लोगों को न देखा हो। मैंने हमेशा आपका आशीर्वाद और शुभकामनाएँ प्राप्त की हैं। शक्ति की आराधना करते हुए, मैं हर जगह आपकी शक्ति का अनुभव करता हूं।

'मैं यहां अतिथि नहीं हूं, मैं आपका ही हूं'
पीएम मोदी ने कहा, 'राज्य के विकास से देश का विकास के मंत्र पर चलते हुए हम भारत को विकसित बनाने के अभियान में जुटे हैं। विकसित भारत की इस अहम यात्रा में ब्रह्माकुमारी जैसी संस्था की बहुत बड़ी भूमिका है। मैं बीते कई दशकों से आप सबके साथ जुड़ा हुआ हूं। मैं यहां अतिथि नहीं हूं, मैं आपका ही हूं। दिल्ली आने के बाद भी आजादी के अमृत महोत्सव से जुड़ा अभियान हो, स्वच्छ भारत अभियान हो या फिर जल जन अभियान, इन सबसे जुड़ने का मौका हो। मैं जब भी आपके बीच आया हूं, मैंने आपके प्रयासों को बहुत गंभीरता से देखा है। मैंने हमेशा देखा है, यहां शब्द कम सेवा ज्यादा है।

ब्रह्माकुमारी के ‘शांति शिखर’ का पीएम ने किया उद्घाटन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रह्माकुमारी के ‘शांति शिखर’ का उद्घाटन किया, जो आध्यात्मिक शिक्षा, शांति और ध्यान का एक आधुनिक केंद्र है। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा आज का दिन बहुत विशेष है। आज हमारा छत्तीसगढ़ अपनी स्थापना के 25 साल पूरे कर रहा है। छत्तीसगढ़ के साथ ही झारखंड और उत्तराखंड के भी 25 वर्ष पूरे हुए हैं। आज देश के और भी कई राज्य अपना स्थापना दिवस मना रहे हैं। मैं इन सभी राज्यों के निवासियों को स्थापना दिवस को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

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