ग्वालियर इस वजह से नहीं बनाया गया MP की राजधानी, गांधी की हत्या से जुड़ा था कनेक्शन
हिंदुस्तान का दिल कहा जाने वाला मध्य प्रदेश आज अपना जन्मदिन मना रहा है। इसी दिन मध्य प्रदेश का गठन हुआ था और साल 1956 में भोपाल को मध्य प्रदेश की राजधानी घोषित कर दिया गया था, लेकिन शायद कम ही लोगों को पता होगा कि भोपाल को राजधानी बनाने से पहले ग्वालियर को राजधानी बनाया जा रहा था। इसके पीछे का कारण यह था कि ग्वालियर देश की सबसे बड़ी रियासत में शामिल था। ग्वालियर का वैभवशाली इतिहास होने के कारण मध्य प्रदेश की राजधानी बनाने के लिए इसका नाम आगे किया गया। जैसे ही ग्वालियर का नाम सामने आया तो इसका विरोध शुरू हो गया। इस विरोध की पीछे की कहानी क्या है और क्यों ग्वालियर को राजधानी नहीं बनाया गया? आइए बताते हैं।
बता दें 1 नवंबर 1996 को जब मध्य प्रदेश का गठन हुआ। उसके बाद ग्वालियर चंबल के तमाम बड़े नेताओं ने देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से ग्वालियर को मध्य प्रदेश की राजधानी बनाने की मांग रखी। इसका सबसे बड़ा कारण यह था कि मध्य भारत की राजधानी ग्वालियर थी। यहां पर मध्य प्रदेश के सभी विभागों के प्रमुख दफ्तर हुआ करते थे। इसके साथ ही ग्वालियर का वैभवशाली इतिहास और देश की सबसे बड़ी सिंधिया रियासत भी यहीं से थी।
बताया जाता है कि जब मध्य प्रदेश की राजधानी बनाने के लिए ग्वालियर का नाम सामने आया तो उसका विरोध शुरू होने लगा। पहले इसका सबसे बड़ा कारण यह बताया जाता है कि इंदौर रियासत होल्कर चाहता था कि इंदौर मध्य प्रदेश की राजधानी बने और सिंधिया राज घराना चाहता था कि ग्वालियर को राजधानी बनाया जाए। इन दोनों के बीच आपस में विवाद होने लगा। वहीं दूसरा कारण यह भी था कि ग्वालियर का नाम बापू महात्मा गांधी की हत्या से जुड़ा था, क्योंकि इस दौरान नाथूराम गोडसे ने बापू महात्मा गांधी की जिस बंदूक से हत्या की थी, वह बंदूक ग्वालियर से खरीदी गई। इसके अलावा राष्ट्र विरोधी गतिविधियां भी बढ़ गई।
मध्य प्रदेश की राजधानी ग्वालियर न बनने का सबसे बड़ा कारण यह था कि ग्वालियर हिंदू महासभा का शुरू से गढ़ रहा है। यही कारण है कि बापू के हत्यारे नाथूराम गोडसे की शरण स्थली रही है। नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या की साजिश इसी ग्वालियर में रची थी और उसके बाद उन्होंने यही बंदूक चलाने की प्रैक्टिस भी इसी ग्वालियर में की थी। उसके बाद जिस पिस्तौल से बापू महात्मा गांधी की हत्या की थी। वह पिस्टल भी इसी ग्वालियर से खरीदी थी। यह दोनों कारण होने के कारण ग्वालियर को मध्य प्रदेश की राजधानी बनाने के लिए विवाद होता रहा और उसके बाद अंत में फैसला लिया गया कि भोपाल को मध्य प्रदेश की राजधानी बनाया जाए।