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अमित शाह ने LS में पेश किया अनुच्छेद 370 हटाने का संकल्प

नई दिल्ली। à¤¸à¥‹à¤®à¤µà¤¾à¤° को एक एतिहासिक कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को हटाने के प्रस्ताव राज्यसभा में पेश किया जहां इसे पास कर दिया गया। इसके बाद इसे आज गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में पेश कर दिया है। बहुमत होने के कारण यह तय माना जा रहा है कि प्रस्ताव को लोकसभा में भी मंजूरी मिल जाएगी। लोकसभा से मंजूरी मिलते ही विशेष दर्जा और अनुच्छेद 370 दोनों खत्म हो जाएंगे। यानी जम्मू -कश्मीर सही मायनों में भारत का अभिन्न अंग हो जाएगा। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर की नागरिकता निर्धारित करने वाला अनुच्छेद 35ए भी बेअसर हो जाएगा।

- सदन में उन्होंने अनुच्छेद 370 के अलावा जम्मू-कश्मीर राज्य के पुनर्गठन करने से संबधित बिलों को सदन में पेश किया।

  • सदन की कार्यवाही शुरू हो चुकी है और सदन में आज कांग्रेस की तरफ से शशि थरूर और मनीष तिवारी प्रस्ताव पर बोलेंगे।
  • केंद्र सरकार के इस कदम से जहां देश में जश्न है वहीं जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा के भारी इंतजाम किए गए हैं। राजधानी श्रीनगर के अलावा डोडा व अन्य शहरों में धारा 144 लागू करने के साथ ही भारी संख्या में फोर्स तैनात की गई है।

    अमित शाह ने बताया कैसे हटाया अनुच्छेद 370

  • गृह मंत्री शाह सोमवार को राज्यसभा पहुंचे तो तैयारी पूरी थी। जब उन्होंने अनुच्छेद 370 और 35ए को निरस्त करने के प्रस्ताव और राज्य को दो भागों में विभाजित करने और राज्य में आरक्षण संबंधी विधेयक लेकर आए तो सदन में भारी हंगामा होने लगा।

    लेकिन शाह ने संविधान को ही सामने रखते हुए स्पष्ट कर दिया कि राष्ट्रपति को अधिकार है और उन्होंने मंजूरी दे दी है। चूंकि राज्य विधानसभा अस्तित्व में नहीं है इसीलिए अधिकार संसद के पास है कि वह प्रस्ताव करे और फिर राष्ट्रपति उस पर मुहर लगाएं। उन्होंने यह भी याद दिला दिया कि कांग्रेस ने भी 1952 और 1962 में अनुच्छेद 370 में संशोधन किया था।

  • विपक्ष के कईं दलों ने भी किया समर्थन

    भले ही कांग्रेस के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने इसे इतिहास का काला दिन बताया। वहीं पीडीपी सांसद नजीर अहमद ने सदन के भीतर ही संविधान की प्रति फाड़ दी और राजग का सहयोगी दल जदयू भी विधेयक के खिलाफ दिखा। लेकिन बसपा, बीजद, वाईएसआर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के सांसद विधेयक के पक्ष में खड़े हो गए। विधेयक का विरोध करने के बावजूद जदयू, तृणमूल कांग्रेस और राकांपा ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। आखिरकार राज्यसभा ने प्रस्ताव पर ध्वनिमत और विधेयक पर 61 के मुकाबले 125 के दो तिहाई बहुमत से अपनी मुहर लगा दी।

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