धनतेरस पर पीतल के बरà¥à¤¤à¤¨ खरीदना होता है शà¥à¤...
कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ à¤à¤—वान धनवंतरी के पूजन का इतना महतà¥à¤µ
शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° समà¥à¤¦à¥à¤° मंथन के दौरान तà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤¦à¤¶à¥€ के दिन à¤à¤—वान धनवंतरी पà¥à¤°à¤•à¤Ÿ हà¥à¤ थे, इसलिठइस दिन को धन तà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤¦à¤¶à¥€ कहा जाता है. धन और वैà¤à¤µ देने वाली इस तà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤¦à¤¶à¥€ का विशेष महतà¥à¤µ माना गया है.
कहा जाता है कि समà¥à¤¦à¥à¤° मंथन के समय बहà¥à¤¤ ही दà¥à¤°à¥à¤²à¤ और कीमती वसà¥à¤¤à¥à¤“ं के अलावा शरद पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ का चंदà¥à¤°à¤®à¤¾, कारà¥à¤¤à¤¿à¤• दà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¶à¥€ के दिन कामधेनॠगाय, तà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤¦à¤¶à¥€ को धनवंतरी और कारà¥à¤¤à¤¿à¤• मास की अमावसà¥à¤¯à¤¾ तिथि को à¤à¤—वती लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ जी का समà¥à¤¦à¥à¤° से अवतरण हà¥à¤† था. यही कारण है कि दीपावली के दिन लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ पूजन और उसके दो दिन पहले तà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤¦à¤¶à¥€ को à¤à¤—वान धनवंतरी का जनà¥à¤® दिवस धनतेरस के रूप में मनाया जाता है.
à¤à¤—वान धनवंतरी को पà¥à¤°à¤¿à¤¯ है पीतल
à¤à¤—वान धनवंतरी को नारायण à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ का ही à¤à¤• रूप माना जाता है. इनकी चार à¤à¥à¤œà¤¾à¤à¤‚ हैं, जिनमें से दो à¤à¥à¤œà¤¾à¤“ं में वे शंख और चकà¥à¤° धारण किठहà¥à¤ हैं. दूसरी दो à¤à¥à¤œà¤¾à¤“ं में औषधि के साथ वे अमृत कलश लिठहà¥à¤ हैं. à¤à¤¸à¤¾ माना जाता है कि यह अमृत कलश पीतल का बना हà¥à¤† है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि पीतल à¤à¤—वान धनवंतरी की पà¥à¤°à¤¿à¤¯ धातॠहै.
मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° धनतेरस
मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि इस दिन खरीदी गई कोई à¤à¥€ वसà¥à¤¤à¥ शà¥à¤ फल पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करती है और लंबे समय तक चलती है. लेकिन अगर à¤à¤—वान की पà¥à¤°à¤¿à¤¯ वसà¥à¤¤à¥ पीतल की खरीदारी की जाठतो इसका तेरह गà¥à¤¨à¤¾ अधिक लाठमिलता है.
कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ है पूजा-पाठमें पीतल का इतना महतà¥à¤µ?
पीतल का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ तांबा और जसà¥à¤¤à¤¾ धातà¥à¤“ं के मिशà¥à¤°à¤£ से किया जाता है. सनातन धरà¥à¤® में पूजा-पाठऔर धारà¥à¤®à¤¿à¤• करà¥à¤® हेतॠपीतल के बरà¥à¤¤à¤¨ का ही उपयोग किया जाता है.
à¤à¤¸à¤¾ ही à¤à¤• किसà¥à¤¸à¤¾ महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ में वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ है कि सूरà¥à¤¯à¤¦à¥‡à¤µ ने दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ को पीतल का अकà¥à¤·à¤¯ पातà¥à¤° वरदानसà¥à¤µà¤°à¥‚प दिया था जिसकी विशेषता थी कि दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ चाहे जितने लोगों को à¤à¥‹à¤œà¤¨ करा दें, खाना घटता नहीं था.