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जानें, क्या है सावन के सोमवार के व्रत का महत्व और पूजा विधि

इस साल 30 जुलाई को सावन का पहला सोमवार है. सोमवार का दिन चंद्र ग्रह का दिन होता है और चंद्रमा के नियंत्रक भगवान शिव हैं. अतः इस दिन पूजा करने से न केवल चंद्रमा बल्कि भगवान शिव की कृपा भी मिल जाती है.

कोई भी व्यक्ति जिसको स्वास्थ्य की समस्या हो, विवाह की मुश्किल हो या दरिद्रता छायी हो अगर सावन के हर सोमवार को विधि पूर्वक भगवान शिव की आराधना करता है तो तमाम समस्याओं से मुक्ति पा सकता है.

सोमवार और शिव जी के संबंध के कारण ही मां पार्वती ने सोलह सोमवार का उपवास रखा था. सावन का सोमवार विवाह और संतान की समस्याओं के लिए अचूक माना जाता है.

क्या है सावन के सोमवार के व्रत का महत्व ?

- भगवान शिव की पूजा के लिए और खास तौर से वैवाहिक जीवन के लिए सोमवार की पूजा की जाती है.

- अगर कुंडली में विवाह का योग न हो या विवाह होने में अड़चने आ रही हों तो संकल्प लेकर सावन के सोमवार का व्रत किया जाना चाहिए.

- अगर कुंडली में आयु या स्वास्थ्य बाधा हो या मानसिक स्थितियों की समस्या हो तब भी सावन के सोमवार का व्रत श्रेष्ठ परिणाम देता है.

- सोमवार व्रत का संकल्प सावन में लेना सबसे उत्तम होता है, इसके अलावा इसको अन्य महीनों में भी किया जा सकता है.

- इसमें मुख्य रूप से शिव लिंग की पूजा होती है और उस पर जल तथा बेल पत्र अर्पित किया जाता है.

 

सावन के सोमवार की सामान्य पूजा विधि-

- प्रातः काल स्नान करने के बाद शिव मंदिर जाएं.

- घर से नंगे पैर जाएं तथा घर से ही लोटे में जल भरकर ले जाएं. 

- मंदिर जाकर शिवलिंग पर जल अर्पित करें, भगवान को साष्टांग करें. 

- वहीं पर खड़े होकर शिव मंत्र का 108 बार जाप करें.

- सायंकाल भगवान के मंत्रों का फिर जाप करें, तथा उनकी आरती करें.

- पूजा की समाप्ति पर केवल जलीय आहार ग्रहण करें.

- अगले दिन पहले अन्न वस्त्र का दान करें तब जाकर व्रत का पारायण करें.

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